देवबंद: एक शाम देवबंद के नाम शीर्षक से भायला मार्ग स्थित सभागार में मुशायरा आयोजित हुआ। इसमें शायरों ने सुंदर कलाम पेश कर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी।
मुशायरे का आगाज समाजसेवी माहिर हसन ने फीता काटकर और डा. अशफाकउल्ला खां ने शमा रोशन कर किया। कार्यक्रम में सहारनपुर से आई इकरा नूर ने अपने अंदाज में कुछ यूं कहा
‘मेरी अम्मी मेरी इबादत है, मुस्कुराने की मुझको आदत है’ जावेद आसी का अंदाजे बयां कुछ यूं था ‘झूठ को उसने जो मंजर के हवाले कर दिया, हमने अपना सच भी खंजर के हवाले कर दिया’
चांद देवबंदी ने कहा ‘जरा बेटा कमाने लग गया है, तो अब आंख दिखाने लग गया है’ गुलजार जिगर ने पढ़ा ‘हैं फूल भी हमारे खुशबू भी हमारी है, हिंदी भी हमारी है उर्दू भी हमारी है’ नईम अख्तर ने कहा ‘मेरी इमदाद क्यूं नहीं करते हो, तुम मुझे याद क्यूं नहीं करते हो’ नफीस देवबंदी के इस शेर ‘मोहब्बत के चरागों को जला देना जरूरी है, जमाने से अंधेरों को मिटा देना जरूरी है’ ने श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। इनके अलावा राशिद कमाल, अरशद जिया व जिगर देवबंदी ने भी अपने कलाम पेश किए।
अध्यक्षता सहकारी गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन दिलशाद गौड ने की। संयोजक मुकीम अब्बासी और डा. उस्मान रमजी, ने सभी का आभार जताया। इस मौके पर इरम उस्मानी, मुमताज अहमद, सलीम ख्वाजा, महबूब हसन, शमीम अहमद, अंजर मलिक, मुर्तजा कुरैशी, नदीम अल्वी, सरफराज गौड़ आदि मौजूद रहे।
समीर चौधरी।
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