देवबंद: जमीयत उलेमा-ए-हिंद (महमूद मदनी गुट) की दिल्ली में आयोजित बैठक में उलेमा सहितसामाजिक, राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान निणर्य लिया गया कि वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में दिल्ली समेत बिहार और आंध्र प्रदेश में बड़ी जनसभाओं का आयोजन कर आमजन को ही नहीं राजनीतिक और सामाजिक लोगों को भी इसके प्रति जागरुक कर सरकार के सहयोगी दलों जेडीयू और टीडीपी समेत समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों से संपर्क किया जाएगा।
गुरुवार को दिल्ली स्थित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुख्य कार्यालय पर आयोजित बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान पूर्व सांसद एवं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश में झूठा प्रोपेगंडा कर वक्फ संपत्तियों के खिलाफ झूठ और नफरत का माहौल बनाया जा रहा है। कहा कि इसके खिलाफ राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। बैठक में सरकार द्वारा जेपीसी को भेजे गए बिल का विरोध करते हुए कहा गया कि इस बिल को वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि वक्फ संपत्तियां मुस्लिम समाज की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर हैं और यह अल्लाह की रज़ा (सहमति) के लिए मुसलमानों की भलाई और इस्लामिक शिक्षा के लिए ही वक्फ की गई हैं। कहा कि ऐसा कोई कानून स्वीकार नहीं है जो मुसलमानों के धार्मिक और शरई मामलो में हस्तक्षेप करते हों। बैठक में यह भी निणर्य लिया गया कि वक्फ संपत्तियों के प्रति जो गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं उनका जवाब देने के लिए दिल्ली समेत बिहार और आंध्र प्रदेश में बड़ी जनसभाएं कर दिया जाएगा। बैठक में यह भी निणर्य लिया गया कि सिख और दलित समुदायों सहित अन्य वर्गों से भी संपर्क कर इस विधेयक के खिलाफ एक मजबूत सामूहिक रुख अपनाया जाएगा। बैठक में अमीरुल हिंद एवं जमीयत के दूसरें गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
समीर चौधरी।
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