प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना के निधन पर मशहूर शायर डॉ. नवाज देवबंदी ने जताय दुःख, बताया उर्दू अदब का भारी नुकसान।

देवबंद: प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना के इंतकाल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त शायर डॉ. नवाज देवबंदी ने उर्दू अदब को भारी नुकसान बताया। उन्होंने कहा कि राना उर्दू शायरी का एक अध्याय थे। उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
डॉ. नवाज देवबंदी ने कहा कि मुनव्वर राना आमतौर पर मां की गजल के लिए वह मशहूर थे। लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होंने मां पर ही गजल लिखी है। उन्होंने जिंदगी के हर विषय पर अपनी कलम का जादू चलाया। 1947 बंटवारे के दर्द को उन्होंने मुहाजिरनामा बनाया और उसमें कमाल यह किया कि ऐसी नक्काशी कि वे बहुत देर तक जिंदा रहेंगे। कहा कि साहित्यिक दुनिया में उनका मुहाजिरनामा भी बहुत मशहूर हुआ और लोगों ने उसको बड़ी कद्र की निगाह से देखा। डॉ. नवाज ने कहा कि मुनव्वर राना का कमाल यह था कि वह मुशायरा करना भी जानता थे और शायरी करना भी। कम लोगों को यह सौभाग्य प्राप्त होता है कि वह गद्य और पद्य दोनों में कमाल रखते थे। मुनव्वर राना शोहरत के आखिरी पायदान पर थे। इनके अलावा डॉ. शमीम देवबंदी, शमीम किरतपुरी, महताब आजाद, वली वकास, जुहैर अहमद, शम्स देवबंदी, चांद देवबंदी, तनवीर अजमल, डॉ. काशिफ अख्तर आदि ने भी मुनव्वर राना के इंतकाल पर गहरा दुख जताया।

समीर चौधरी।

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