रामपुर मनिहारान: (शिब्ली रामपुरी) कस्बे में एक संस्था की ओर से आयोजित मुशायरे में स्थानीय शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश कर देर रात तक समां बांधे रखा.
नगर के मौहल्ला कायस्थान स्थित अमन मलिक के निवास पर आज़ाद भारत सामाजिक संगठन द्वारा जश्ने तारिक़ रामपुरी का आयोजन किया गया।मुशायरे की सदारत क़ाज़ी नदीमुल हक़ और उद्घाटन बसपा के युवा नेता असलम मलिक ने किया जबकि शमा रोशन हाजी अहमद नियाज़ राजा व संचालन नसीम आज़ाद द्वारा कियागया ।मुशायरे का आग़ाज़ फुरकान अहमद ने नाते पाक से किया।मशहूर शायर तारिक़ रामपुरी ने अपने ख़ास लहजे में कहा 'बिगाड़ा क्या हमारा दुश्मनों ने,वही क़द है वही रूतबा हमारा।वो ख़ुद को इतना कड़वा कर चुका है, उसे गुड़ भी लगा फीका हमारा।मशहूर शायर डॉ ज़हूर अहमद ज़हूर ने कुछ यूं कहा 'पास अपने फ़नकारी रख,फ़न की क़ीमत भारी रख. दुनिया वालों के आगे मत अपनी लाचारी रख. युवा शायर डॉक्टर ताहिर मलिक ने अपने इस शेर पर ख़ूब तारीफ़ हासिल की उन्होंने पढ़ा 'कोई होगा ही नहीं मुझसा मुसव्विर जानां, आँसुओं से तेरी तस्वीर बना दी मैंने।नसीम आज़ाद अपने ख्यालात का इज़हार करते हुए कहा 'जंग लड़ता है अंधेरों से वही दुनिया में, जो चिराग़ों को हवाओं में जला देता है।हाजी अहमद नियाज़ राजा ने कहा 'क्या करोगे देख कर तुम क़ातिलों की तस्वीरें, ये तो सब हमारे ही दोस्तों के चेहरे हैं।नूर रामपुरी ने कहा 'मेरे लब से मुहब्बत का तराना छीन लेता है,जिसे मैं प्यार करता हूँ ज़माना छीन लेता है।अनवर अली अनवर ने कहा 'ज़रूरतों के मुताबिक़ हैं आज के रिश्ते,जो आज अच्छा है इक दिन बुरा लगेगा तुझे।उभरते शायर अमन मलिक रामपुरी ने कुछ यूँ कहा 'हर कोई मेरी बुलंदी से हसद करता है,देखता कोई नहीं पाँव के छाले मेरे।
समीर नम्बरदार,आरिफ़ तन्हा,फुरकान अहमद,नुसरत अली ने अपने कलाम पेश किए। इस दौरान तारिक़ सिद्दीक़ी, अमज़द सिद्दीक़ी, सभासद नदीम अहमद,शुऐब मलिक,अम्बर मलिक,नसीम मलिक,वतन मलिक आदि मौजूद रहे।
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