विपक्षी गठबंधन की मजबूरी क्यों, मुस्लिम नेताओं से आखिर दूरी क्यों?

मुंबई: (शिब्ली रामपुरी) विपक्षी गठबंधन इंडिया की मुंबई में आयोजित तीसरी महत्वपूर्ण बैठक में तकरीबन सभी विपक्षी दलों के नेता नजर आए लेकिन इसमें मुसलमानों की आवाज उठाने वाले उन नेताओं की पूरी तरह से कमी रही जो कि मुस्लिम पॉलिटिक्स के लिए जाने जाते हैं. बैठक में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती तो मौजूद हैं लेकिन यह वह चेहरे हैं जो सिर्फ अपने क्षेत्र तक सीमित हैं और मुसलमान की बड़ी आबादी इनसे जुड़ाव भी महसूस नहीं करती है।

वैसे तो विपक्षी एकजुटता को लेकर पटना में जब बैठक आयोजित हुई थी इस दौरान भी यह सवाल उठा था कि आखिर मुस्लिम नेताओं से इस गठबंधन ने दूरी क्यों बना रखी है उसके बाद यही बैठक बेंगलुरु में आयोजित हुई वहां पर भी मुस्लिम नेताओं की गैर मौजूदगी रही और अब विपक्षी गठबंधन इंडिया की जो सबसे महत्वपूर्ण बैठक मुंबई में आयोजित की गई है उसमें भी यही हाल नजर आ रहा है।

ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि एक ओर भाजपा मुसलमानों को अपने साथ लाने की पूरी तैयारी कर रही है तो वहीं तमाम विपक्षी पार्टियों को लेकर जो गठबंधन बना है उसमें मुस्लिम प्रमुख नेताओं की मौजूदगी क्यों नहीं है. इसमें क्यों सांसद बदरुद्दीन अजमल और सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल नहीं हैं क्यों उनको इस गठबंधन में शामिल नहीं किया गया है. विपक्षी गठबंधन में मौजूद नेताओं ने तमाम मुद्दों पर बातचीत की लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि यदि यह गठबंधन 2024 में सफल होता है तो फिर देश के मुसलमानों के लिए उनके पास क्या पॉलिसी है जिससे वह सियासत से लेकर रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ सके।

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