देवबंद: मकतबा इमामिया थीथकी के प्रबंधक सैयद गजनफर अली ने कहा कि हर अजादार हुसैनी मिशन का अलंबरदार है। कहा कि किसी जुल्म के सामने सिर न झुकाना और इस्लाम की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने की सीख मोहर्रम से ही मिलती है।
शुक्रवार को गांव थीथकी में अजरदारों को संबोधित करते हुए सैयद गजनफर अली ने कहा कि मोहर्रम किसी त्योहार का नाम नहीं बल्कि एक तहरीरक का नाम है। कहा कि अंजुमन-ए-सईदिया हुसैनी मिशन को आगे बढ़ाने का नाम है। कहा कि हमे मोहर्रम समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ खड़े होना और सच के साथ रहकर इंसानियत की भलाई के लिए तैयार रहने का सबक मोहर्रम से ही मिलता है। कहा कि मोहर्रम पर सिर्फ मजलिस करना ही काफी नहीं है बल्कि उसके मकसद को बताना भी जरुरी है। सैयद गजनफर अली ने कहा कि इस मोहर्रम में हम अहद करे हक के साथ रह कर अपने किरदार में बदलाव लाकर आपस में इत्तेहाद (एकता) की फिजा कायम करेंगे। उन्होंने कहा कि मोहर्रम का मकसद रोना नहीं बल्कि यह समझने की जरुरत है इमाम हुसैन ने मदीना क्यूं छोड़ा। उन्होंने उम्मत की इस्लाह की हिफाजत करना मुख्य जिम्मेदारी करार दिया।
शुक्रवार को गांव थीथकी में अजरदारों को संबोधित करते हुए सैयद गजनफर अली ने कहा कि मोहर्रम किसी त्योहार का नाम नहीं बल्कि एक तहरीरक का नाम है। कहा कि अंजुमन-ए-सईदिया हुसैनी मिशन को आगे बढ़ाने का नाम है। कहा कि हमे मोहर्रम समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ खड़े होना और सच के साथ रहकर इंसानियत की भलाई के लिए तैयार रहने का सबक मोहर्रम से ही मिलता है। कहा कि मोहर्रम पर सिर्फ मजलिस करना ही काफी नहीं है बल्कि उसके मकसद को बताना भी जरुरी है। सैयद गजनफर अली ने कहा कि इस मोहर्रम में हम अहद करे हक के साथ रह कर अपने किरदार में बदलाव लाकर आपस में इत्तेहाद (एकता) की फिजा कायम करेंगे। उन्होंने कहा कि मोहर्रम का मकसद रोना नहीं बल्कि यह समझने की जरुरत है इमाम हुसैन ने मदीना क्यूं छोड़ा। उन्होंने उम्मत की इस्लाह की हिफाजत करना मुख्य जिम्मेदारी करार दिया।
समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।
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