ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी का गुरुवार की शाम लखनऊ के एक अस्पताल में निधन हो गया है पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई वही इस्लामिक जगत में भी उनके इंतकाल को बडा नुक्सान करार दिया गया। वह 94 साल के थे। उन्हें शुक्रवार की सुबह रायबरेली में उनके कब्रिस्तान में सपोर्ट देखा किया जाएगा।
मौलाना राबे हसनी नदवी रायबरेली की एक दीनदार घराने के चश्म-व-चिराग रहे हैं। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1929 को हुआ था। उनका घराना एक इल्मी घराना तसुव्वर किया जाता है। उनके मामू- मौलाना अली मियां नदवी- दुनिया के एक बहुत बड़े इस्लाम के स्कॉलर थे, सऊदी अरब ने उन्हें सबसे बड़े इस्लामी अवॉर्ड से नवाजा था, वे लखनऊ स्थित नदवतुल उलेमा के अध्यक्ष भी रहे हैं।
मौलाना मोहम्मद राबे हसनी नदवी सुन्नी इस्लामिक विद्वान थे। नदवी ने रायबरेली में अपने परिवार मकतब से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उच्च अध्ययन के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलमा में शामिल हो गए। वह मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य आलमी रबिता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (केएसए) के उपाध्यक्ष थे। उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की लिस्ट में नियमित रूप से शामिल किया जाता रहा।
नदवी 1952 में नदवतुल उलमा, लखनऊ में सहायक प्रोफेसर, 1955 में इसके अरबी विभाग के प्रमुख और 1970 में अरबी संकाय के डीन बने थे। अरबी भाषा और साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय परिषद उत्तर प्रदेश से एक पुरस्कार और एक राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था। उन्हें 2002 में हज़रत मौलाना मुजाहिदुल इस्लाम कासमी के निधन के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया था। वह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के चौथे अध्यक्ष थे। मौलाना राबे हसन प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद की शिवरा के सदस्य भी थे। उन्होंने अरबी में 15 और उर्दू में 12 पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वह विभिन्न संगठनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे।
समीर चौधरी।
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