प्रभावशाली भाषण की कमी और बार बार फिसलती ज़बान, राहुल गांधी की तमाम कोशिशों के बावजूद भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं बन रहा माहौल?

(शिब्ली रामपुरी)
हरियाणा पहुंची कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक भाषण दिया जिसमें वह देश की आबादी 140 करोड़ रुपए बोल बैठे हालांकि तुरंत ही राहुल गांधी ने 140 करोड़ आबादी बोल दिया. लेकिन राहुल गांधी की ये जबान फिसलने वाली वीडियो खूब वायरल हो गई।
 भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी की इस वीडियो को शेयर करते हुए कटाक्ष किया. संबित पात्रा ने ट्विटर पर लिखा लीटर में आटा और रुपए में आबादी -ऐसे गजब के महाज्ञानी हैं राहुल गांधी।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी की जुबान फिसली हो और उन्होंने दोबारा अपने शब्दों को सही किया हो. इससे पहले भी कई बार राहुल गांधी की जबान फिसल चुकी है जिस पर उनके विरोधी उनका मजाक उड़ाने से पीछे नहीं रहते।
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान लगातार मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं और उनकी भारत जोड़ो यात्रा में लगातार भीड़ भी उमड़ रही है जगह-जगह उनका स्वागत भी किया जा रहा है।
लेकिन एक बड़ा सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी की तमाम कोशिशों के बावजूद भी कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर से निकलने की ओर कदम क्यों नहीं बढ़ा सकी है. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस का खराब दौर शुरू हुआ और इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल गांधी ने इस संकट भरे दौर से निकालने के लिए कांग्रेस को काफी कोशिशें की.
 कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी राहुल गांधी ने खुद संभाली लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस के पक्ष में नतीजे बेहतर नहीं आ सके. यदि इसकी वजह तलाशी जाए तो यही बात सामने आती है कि राहुल गांधी सटीक बात बोलते हैं आंकड़ों पर बोलते हैं लेकिन जिस तरह से उनकी जबान बार-बार फिसल जाती है उससे उनके द्वारा की जा रही मेहनत को काफी झटका लगता है. क्योंकि ऐसा करने से उनके विरोधियों को राहुल गांधी पर कटाक्ष करने का मौका मिल जाता है और वह यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी ना तजुर्बेकार लीडर हैं उनको सही तरह से अपनी बात रखनी नहीं आती।
यह कड़वा सच है कि राहुल गांधी को जिस दमदार तरीके से अपनी बात जनता के सामने रखनी चाहिए उसमें वो काफी कमजोर नजर आते हैं. 2024 में कांग्रेस को भाजपा जैसी मजबूत पार्टी और पीएम मोदी जैसे कुशल राजनीतिज्ञ का सियासी मुकाबला करना है. लेकिन जिस तरह से राहुल बोलने में कमजोर नजर आते हैं क्या वह 2024 के लोकसभा चुनाव में मजबूती के साथ भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम होंगे?
कांग्रेस को अपने सुनहरे दौर की उम्मीदें राहुल गांधी से बहुत हैं लेकिन क्या राहुल उन कमज़ोरियो को उन खामियों को दूर करेंगे कि जिससे उनको सुनने वाली भीड़ वोटों में तब्दील हो सके।

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