मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में 9 साल बाद आया फैसला, भाजपा विधायक सहित एक दर्जन को सजा, जमानत मंजूर।
मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर के दंगों के मामले में जिला अदालत में 9 साल बाद अहम फैसला सुनाते हुए खतौली से भाजपा विधायक समेत 12 लोगों को हिंसा का दोषी मानते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई है, साथ ही उन पर दस-दस हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।
मंगलवार को मुज़फ़्फ़रनगर में 2013 में हुए 'कवाल कांड' पर ज़िला अदालत से फ़ैसला आ गया है। खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी समेत 12 और लोगों को हिंसा का दोषी माना है और दो साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है, साथ ही, दस-दस हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया ह।
मामले की सुनवाई की है अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने की, सज़ा होने के तुरंत बाद विधायक ने अदालत में ज़मानत अर्ज़ी डाल दी, अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया, विक्रम सैनी को ज़मानत मिल गई, कवाल गांव में हुए डबल मर्डर और उसके बाद छह किसानों की हत्या के बाद शुरू हुए थे मुज़फ़्फ़रनगर के दंगे।
बता दें कि कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में पहले गौरव और सचिन नाम के युवकों की हत्या हुई और उसके बाद शाहनवाज नाम के युवक को मारा गया था।
कवाल की घटना के बाद ही मुज़फ़्फ़रनगर में जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, इस सांप्रदायिक हिंसा में 62 लोगों की मौत हुई और 40 हज़ार से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा. राहत कैंपों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी मामले में अब फ़ैसला आया है, आगजनी और हिंसा में तब के भाजपा नेता और अभी के विधायक विक्रम सैनी को नामजद किया गया था, अदालत ने उन्हें दंगा भड़काने का दोषी पाया है।
उधर मामले में खतौली विधायक विक्रम सैनी ने कहा की यह कवाल दंगे का मामला था कवाल दंगे में पुलिस ने हमारे पास बलकटी दिखाई थी उसमें 2 साल की सजा और दस हजार का जुर्माना हुआ है हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं इसमें अपील करने के लिए हम हाईकोर्ट जाएंगे।
समीर चौधरी।
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