पूर्व विधायक के पुत्र हैदर अली ने XEN को भेजा नोटिस, अवैध रूप से खंभों पर लगाए जा रहे बिजली मीटर कार्य को बंद ना करने पर दी कानूनी कार्रवाई कराने की चेतावनी।
देवबंद: देवबंद नगर में इस समय बिजली के मीटरों को खंभों पर लगाने का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है, जिसका नगर में लगातार विरोध किया जा रहा है। मोहल्ला किला से शुरू किए गए इस काम को लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है, लेकिन विभाग बगैर किसी सरकारी सर्कुलर के लगातार इस काम को करने में लगा हुआ है, जिसके बाद अब पूर्व विधायक माविया अल के सुपुत्र हैदर अली ने अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण उपखंड देवबंद को अपने वकील द्वारा नोटिस भेजा है।
1. आप मेरे व्यवहारी व देवबन्द वासियों को विद्युत मीटर फर्जी तरीके से खम्बे पर लगवाने के लिये तंग व परेशान कर रहे है।
2. यह कि आप मेरे व्यवहारी व देवबन्द वासियों से खम्बे पर फर्जी तरीके से मीटर लगवाना कानून के विरूद्ध है तथा यदि ऐसा होता है तो उससे बरसात आदि में खम्बे मे करंट आने के कारण कोई अप्रिय घटना होने की संभावना बनी रहेगी और पूर्व में इस प्रकार करंट लगने से मृत्यु भी हो चुकी है।
3. यह कि खम्बे पर मीटर लगने से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा केबिल में कट लगाकर विधुत चोरी कर सकता है जिससे नामित मीटर वाले व्यक्ति को भी अपूर्णीय क्षति होगी। 4- यह कि खम्बो पर सभी मीटर एक साथ लगने रहने से मीटरो मे फाल्ट होने का भी अत्यधिक खतरा स्वभाविक है।
5- यह कि आपके द्वारा यह कार्य स्वयं अपनी मर्जी से अपने मनाने तरीके से कानून के विरुद्ध किया जा रहा है और ऐसा कोई आदेश या नोटिफिकेशन सरकार की तरह से जारी नही हुआ है और आप जनता को परेशान करने की गरज से व अनुचित लाभ कमाने के लिये यह कार्य कर रहे हो जिसकी शिकायत माननीय मुख्यमंत्री महोदय उ०प्र० शासन लखनऊ को भी दी जायेगी।
अतः आपको बजरिये नोटिस हाजा सूचित किया जाता है कि आप उक्त अवैध कार्य मौके पर तुरन्त बन्द करा दे तथा इस प्रकार खम्बो पर मीटर आदि लगाने का कोई नाजायज कार्य न करने अन्य नोटिस प्राप्ति के 15 दिन की अवधि गुजरने पर आपके विरुद्ध अग्रिम कानूनी कार्यवाही सम्बन्धित न्यायालय व विभाग आदि में की जायेगी। नोटिस साफ है जिसकी प्रति मेरे कार्यालय में सुरक्षित है आप भी संभाल कर रखे।
बता दें कि इससे पूर्व भी खंबो पर मीटर लगाने को लेकर नगर में हंगामा और विवाद हो चुका है लेकिन विभाग लगातार अपने रवाये पर अड़ा हुआ है हालांकि सरकार की ओर से अभी तक इस तरह का कोई भी आदेश सामने नहीं आया है।
समीर चौधरी/इकराम अंसारी।
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