किया ज़कात के माल से किसी बीमार रिश्तेदार का इलाज कराया जा सकता है? उलेमा ने दिया जवाब।

किया ज़कात के माल से किसी बीमार रिश्तेदार का इलाज कराया जा सकता है?
कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न :- अगर किसी के घर टी.वी और मोबाइल है तो क्या उसको ज़कात दे सकते हैं ?
उत्तर :- टी.वी. और इस तरह की चीज़ें जो ज़रूरत से ज़्यादा हों अगर उनकी संयुक्त की़मत साढ़े बावन तोला चांदी की क़ीमत को पहुंच जाये तो जिस शख्स की सम्पत्ति में हो उसको ज़कात देना जायज़ नहीं है।

प्रश्न :- ज़कात के माल से किसी बीमार रिश्तेदार का इलाज कराया जा सकता है ?
उत्तर :- अगर रिश्तेदार ज़कात लेने के पात्र हो और उसको इलाज की ज़रूरत हो तो उसकी सूरत यह है उनको यह रक़म दे दी जाये और उसका मालिक बना दिया जाये फिर वह इस रक़म से अपना इलाज करा लें, जब तक ज़कात के पात्र व्यक्ति को ज़कात की रक़म का मालिक ना बनाया जाये उस वक़्त तक ज़कात अदा नहीं होती।

प्रश्न :- हालते जनाबत में सेहरी खाने और फज्र की नमाज़ के बाद गुस्ल करने की सूरत में रोज़ा हो जायेगा या नहीं?
उत्तर :- हालते जनाबत में सेहरी खाना जायज़ है, अलबत्ता फज्र की नमाज़ क़ज़ा होने से पहले गुस्ल करके फज्र की नमाज़ पढ़ना फर्ज़ है, बल्कि सेहरी के फौरन बाद गुस्ल करके फज्र की नमाज़ बाजमाअत अदा करनी चाहिए। अगर कोई जनाबत की हालत में सेहरी करके फज्र की नमाज़ क़ज़ा होने के बाद गुस्ल करले तो उसका यह अमल नाजाज़ और गुनाह की वजह बनेगा, रोज़ा हो जायेगा लेकिन नमाज़ क़ज़ा करने की वजह से रोज़े की पूरी बरकत से महरूम रहेगा।

प्रश्न :- मेरे पास दो गाड़ियां हैं जिनको किराये पर चलाता हूं, क्या मुझे उसकी ज़कात अदा करनी होगी?
उत्तर :- किराये पर चल रही गाड़ी पर ज़कात नहीं बल्कि जो किराया हासिल हो रहा है वह अगर साढ़े बावन तोला चांदी की क़ीमत को पहुंचता है तो उस पर ज़कात होगी।

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