मुसलमानों को रोज़े और तरावीह का पाबन्दी से एहतमाम करना चाहिए: मौलाना शमशीर क़ासमी।

मुसलमानों को रोज़े और तरावीह का पाबन्दी से एहतमाम करना चाहिए: मौलाना शमशीर क़ासमी।
सहारनपुर (रामपुर मनिहारान): रमज़ान उल मुबारक का हर लम्हा इबादत के लिए ख़ास है। मुसलमानों को रोज़े और तरावीह का पाबन्दी से एहतमाम करना चाहिए-यह बात हज़रत मौलाना शमशीर क़ासमी ने रमज़ान के मुताल्लिक़ कही।
मदरसा जामिया दावतुल हक़ मुइनिया के प्रबन्धक हज़रत मौलाना शमशीर क़ासमी ने कहा कि रमज़ान का महीना बरकतों और रहमतों वाला अफज़ल महीना है।रमज़ान का हर लम्हा ख़ास होता है इसलिए हर आक़िल बालिग़ को ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त इबादत में गुज़ारना चाहिए ताकि अल्लाह को राज़ी किया जा सके।मौलाना शमशीर क़ासमी ने कहा कि रमज़ान के रोज़े हर आक़िल बालिग़ और फ़र्ज़ हैं।उन्होंने कहा कि रोज़ा ईमान को पुख़्ता करता है और बंदे को ख़ुदा के नज़दीक ले जाता है।इसीलिए अल्लाह के नबी का इरशाद है कि अल्लाह फ़रमाता है कि रोज़े का बदल मैं ख़ुद दूँगा।मौलाना ने कहा कि सांइस के ऐतबार से भी रोज़ा जिस्म के लिए बहुत फायदेमन्द है।
मौलाना शमशीर क़ासमी ने कहा कि रमज़ान में फ़र्ज़ नमाज़ों के साथ साथ तरावीह का भी एहतमाम करना चाहिए।तरावीह में मुकम्मल क़ुरआन सुनना चाहिए।उन्होंने कहा कि अगर सफ़र में रहने की मजबूरी हो तो कम दिनों की तरावीह पढ़ी जा सकती है उसके बाद जहाँ रहें वहीं तरावीह अदा करें।मौलाना शमशीर क़ासमी ने कहा कि रमज़ान के महीने में नेकियों और इबादत का सवाब बढ़ा दिया जाता है।रमज़ान अल्लाह की ख़ुशनुदी हासिल करने का महीना है।इसलिए हर मुसलमान मर्द औरत को चाहिए कि अपना वक़्त दूसरी बातों में ज़ाया करने की बजाए इबादत में गुज़ारें और अपने रब को राज़ी करें।
मौलाना शमशीर क़ासमी ने कहा कि रमज़ान में हर घड़ी अल्लाह की रहमत बरसती है।रोज़ेदार को रोज़ा इफ़्तार कराना भी बड़े सवाब का काम है।इस महीने में अल्लाह की राह में दिल खोल कर ख़र्च करना चाहिए इससे मालो दौलत में कमी नही आएगी बल्कि इज़ाफ़ा होगा।

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