जानिए कितने सही और सटीक होते हैं एग्जिट पोल? देखिए कब कब हुए गलत साबित, कैसे और कौन करता है एग्जिट पोल तैयार।

जानिए कितने सही और सटीक होते हैं एग्जिट पोल? देखिए कब कब हुए गलत साबित, कैसे और कौन करता है एग्जिट पोल तैयार।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में मतदान समाप्त होने के बाद अब सभी को 10 मार्च को आने वाले नतीजों का इंतजार है, हालांकि उत्तर प्रदेश के सातवें और आखिरी चरण के मतदान के बाद सोमवार को कई टीवी चैनलों और सर्वे एजेंसियों की ओर से एग्जिट पोल जारी किए गए हैं, जिसमें एक बार फिर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की वापसी का अनुमान लगाया गया है, जब के पंजाब में आम आदमी पार्टी की पहली बार धमाकेदार एंट्री दिखाई गई है, वहीं उत्तराखंड गोवा और मणिपुर में मुकाबले का अनुमान जताया जा रहा है।
हालांकि एग्जिट पोल का अनुमान इस बार उत्तर प्रदेश की जनता को काफी चकित कर गया है, इस एग्जिट पोल को लोग जमीनी हकीकत से बिल्कुल उलट देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस बार नतीजे एग्जिट पोल के बिल्कुल उलट आएंगे। हालांकि एग्जिट पोल मात्र अनुमान पर होता है नतीजे इससे बिल्कुल अलग भी होते हैं और कई बार ऐसा देखने में आया है। 
आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल कितने सही और सटीक होते हैं और कब कब ये फेल हुए हैं?

पश्चिम बंगाल चुनाव 2021
2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल ने BJP को 100 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया, लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी महज 77 सीटों पर सिमट गई। ममता बनर्जी की TMC ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। ममता बनर्जी की टीएमसी ने 211 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020
बिहार विधानसभा चुनाव में ज्यादातर चैनल और एजेंसियों ने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस गठबंधन की जीत का दावा किया था, रिजल्ट आने पर बीजेपी और JDU गठबंधन ने तीसरी बार सरकार बनाई।

2018 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की बात कही गई। हालांकि कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की। कांग्रेस के हिस्से में 69 सीटे जबकि भाजपा को 14 सीटों से संतुष्ट होना पड़ा। 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को 200 पार दिखा रहे थे, इस चुनाव में एग्जिट पोल हवा का रुख भांपने में सही साबित हुए, लेकिन सीटों का अनुमान लगाने में फेल रहे।

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019
हरियाणा विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल ने बीजेपी को 70 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया था, नतीजे आए तो बीजेपी महज 40 सीटों पर सिमट गई.

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020
दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, ज्यादातर एग्जिट पोल ने आम आदमी पार्टी (AAP) को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा किया. नतीजों में ये दावे सही साबित हुआ. आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिलीं।

2004 लोकसभा चुनाव
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनने का अनुमान लगाया था। हालांकि चुनाव परिणाम उलट आए। एनडीए को जहां 189 सीटें मिली। वहीं यूपीए ने 222 सीटों पर जीत दर्ज की और डॉ. मनमोहन सिंह पीएम बने। 
2009 लोकसभा चुनाव
वर्ष 2009 के एग्जिट पोल भी फेल हुए थे। एग्जिट पोल में बताया गया था कि एनडीए को बढ़त मिली, लेकिन कांग्रेस अकेले ने 206 और यूपीए ने 262 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बनने की बात कही गई थी। एग्जिट पोल ने आप को कम सीटें बताई थी। हालांकि जब रिजल्ट को आया तो आप को 28 सीटें, कांग्रेस 8 और बीजेपी के खाते में 32 सीटें आई। 

क्या होता है एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल को मतदाताओं के जवाब के आधार पर तैयार किया जाता है। मतदाता जब अपना वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो उससे न्यूज चैनल और सर्वे एजेंसियां वोटिंग को लेकर सवाल करती हैं। मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी को अपना वोट दिया है। मतदाताओं के जवाबों को सर्वे एजेंसियां इकट्ठा करती हैं और उसके बाद एग्जिट पोल का प्रसारण किया जाता है। हजारों मतदाताओं से सवाल पूछकर आंकड़े जुटाए जाते हैं और एनालिसिस करके वोट प्रतिशत और सीटों का अनुमान लगाया जाता है। कई बार ये एग्जिट पोल सटीक साबित होते हैं और कई बार गलत भी साबित हो जाते हैं।

कौन करता है एग्जिट पोल?
भारत में सबसे प्रमुख एग्जिट पोल आमतौर पर चाणक्य, CVoter, और MyAxis India द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें CNN-News18, ABP नेटवर्क, टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे, इडिया टीवी, न्यूज 18 इंडिया, आज तक, Zee News और TV9 भारतवर्ष सहित अन्य टीवी चैनलों पर दिखाए जाते हैं। चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक चुनाव की प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह का ओपिनियन पोल अथवा एग्जिट पोल जारी नहीं किया जा सकता। ऐसा करना नियम का उल्लंघन होता है और उसे तोड़ने पर मीडिया समूहों के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।

एग्जिट पोल की शुरुआत
दूरदर्शन ने सबसे पहले 1996 में एग्जिट पोल शुरू किया था। जब मतदाता अपना वोट डालकर निकल रहे थे। तब उनसे पूछा गया कि उन्होंने किसे वोट दिया। इस आधार पर किए गए सर्वे से जो व्यापक नतीजे निकाल के सामने आए उन्हें ही एग्जिट पोल का नाम दिया गया। साल 1998 में चुनाव आयोग ने ओपिनियन और एग्जिट पोल पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में चुनाव आयोग के फैसलो को रद्द कर दिया। 2009 में फिर एग्जिट पोल पर प्रतिबंध करने की मांग उठी। फिर कानून में संशोधन किया गया, जिसके अनुसार चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब तक अंतिम वोट नहीं पड़ जाता, एग्जिट पोल नहीं दिखा सकते। 

10 मार्च को आएंगे पांचों राज्यों के नतीजे
इस साल 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए सात चरणों में 10 फरवरी, 14, 20, 23, 27, 3 और 7 मार्च को चुनाव हुए थे। वहीं, उत्तराखंड की 70 सीटों और गोवा की 40 सीटों के लिए 14 फरवरी को एक ही चरण में मतदान हुआ था, जबकि 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा के लिए 20 फरवरी को मतदान हुआ था। इसके अलावा 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा के लिए 27 फरवरी और तीन मार्च को दो चरणों में मतदान हुआ था। सभी पांच राज्यों में वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी।

मीडिया इनपुट्स के साथ DT Network
समीर चौधरी।

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