ाइकिल की पांच दिन बिना टिकट सवारी कर मायूस होकर लखनऊ से सहारनपुर लौटे नेताजी।

साइकिल की पांच दिन बिना टिकट सवारी कर मायूस होकर लखनऊ से सहारनपुर लौटे नेताजी। 
सहारनपुर: सहारनपुर की राजनीति लगातार करवटें ले रही है जिले के जनाधार वाले नेता समझे जाने वाले इमरान मसूद का पांच दिन बाद ही साइकिल की सवारी करके मन भर गया और वह सपा प्रमुख पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए लखनऊ से सहारनपुर लौट गए। इमरान मसूद को लगे इस तगड़े झटके से उनके समर्थकों में भी काफी मायूसी देखी जा रही है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सहारनपुर में इमरान मसूद जबरदस्त राजनीतिक पकड़ रखते हैं लेकिन हाल ही में जैसे ही उन्होंने कांग्रेस को झटका दिया वैसे ही लखनऊ पहुंचते ही दो दिन बाद ही सपा प्रमुख उन्हें दगा दे गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इमरान मसूद ने सपा प्रमुख पर धोखा देने का आरोप लगाया है जिसके बाद इमरान मसूद अपने लिए संभावनाएं तलाश कर रहे हैं, दावा किया जा रहा है कि जल्दी ही इमरान मसूद बसपा ज्वाइन कर सकते हैं हालांकि अभी इमरान मसूद इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

बड़ा रुतबा छोड़कर आए अपने ही टिकट को तरसे।
कांग्रेस में बड़ा कद और रुतबा रखने वाले इमरान मसूद जो कई जिलों में टिकट बांटने में मुख्य भूमिका निभाते थे आज सपा में एंट्री होते ही उन्हें अपने ही टिकट के लाले पड़ने लगे।
हालांकि सूत्रों का दावा है कि सपा ने इमरान मसूद को एक एमएलसी और सरकार बनने पर मंत्री व 2024 में लोकसभा का टिकट देने का वादा किया गया था जिस पर इमरान मसूद राजी नहीं हुए और उन्होंने बगावती तेवर दिखा दिए, 12 जनवरी को इमरान मसूद सपा में शामिल हुए थे उनके साथ कांग्रेस के विधायक मसूद अख़्तर भी सपा में शामिल हुए थे लेकिन मनपसंद सीटों पर टिकट ना मिलने के कारण इमरान मसूद अब अखिलेश से नाराज़ हो गए हैं।
धर्म सिंह सैनी के सपा में शामिल होने से इमरान मसूद का कद हुआ कम। 
इमरान मसूद के सपा में जाने के एक दिन बाद नकुड सीट पर उनको दो बार चुनाव हराने वाले और वर्तमान सरकार में आयुष मंत्री रहे डॉक्टर धर्म सिंह सैनी ने बीजेपी को अलविदा कह कर सपा जॉइन कर ली थी, जो इमरान मसूद के लिए भी काफी तगड़ा झटका था। डॉक्टर धर्म सिंह सैनी के आने के बाद सपा प्रमुख ने भी अपनी पॉलिसी में बदलाव कर दिया जिससे इमरान मसूद को काफी मायूसी हुई है।

सपा से टिकट बंटवारे पर पुराना है काजी परिवार का विवाद।
सपा और काजी परिवार का टिकटों को लेकर विवाद पुराना है। 2007 में इमरान मसूद ने मुजफ्फराबाद (इस समय बेहट सीट) पर सपा का टिकट न मिलने पर समाजवादी पार्टी सरकार में ही मंत्री और मुजफ्फराबाद से विधायक जगदीश राणा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें सफलता मिली थी। जिसके बाद वह सपा में शामिल हो गए थे, 2012 में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव और काजी परिवार में टिकटों को लेकर उस समय विवाद हो गया था जब सपा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बेहट विधानसभा सीट से जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी के दामाद उमर अली खां को टिकट दे दिया था। जिससे नाराज काजी परिवार ने सपा ही छोड़ दी थी, जिसके कुछ दिन बाद चाचा भतीजे के रास्ते भी अलग हो गए थे। 2014 में भी लोकसभा टिकट को लेकर इमरान मसूद उनके चाचा काजी रशीद मसूद और मुलायम सिंह व अखिलेश यादव के बीच काफी खींचतान देखने को मिली थी। जिसके बाद इमरान मसूद ने कांग्रेस जॉइन कर ली थी।

विवादित बयान के बाद भी कांग्रेस ने दिया सम्मान।
2014 में विवादित बयान के बाद इमरान मसूद सुर्खियों में आए थे लेकिन उस दौरान भी कांग्रेस ने इमरान मसूद पर पूरा भरोसा जताया था और लोकसभा का टिकट दिया था, 2014 के लोकसभा चुनाव में हालांकि वह हार गए थे लेकिन साढ़े चार लाख से अधिक वोट लेकर उन्होंने कांग्रेस का सम्मान भी बचाया था, 2017 के विधानसभा चुनाव में भी इमरान मसूद खुद की सीट हार गए थे लेकिन सहारनपुर देहात और बेहट से दो विधायक कांग्रेस के खाते में डालने में उनकी मुख्य भूमिका थी।
लगातार चार चुनाव हार चुके इमरान मसूद 2022 में कुछ बड़ा करने की कोशिश में थे लेकिन जैसे ही उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहकर समाजवादी में एंट्री की मात्र पांच ही दिन में वह साइकिल की सवारी से उकता गए और उन्होंने लखनऊ से सहारनपुर की वापसी का सफर शुरू कर दिया।

इमरान मसूद के अगले कदम पर लगी है नजरें।
जिले की राजनीति में अच्छी खासी पकड़ रखने वाले इमरान मसूद का अगला कदम जिले की राजनीति के नए समीकरण तय करेगा हालांकि चर्चाएं हैं कि वह बसपा में जा सकते हैं और इमरान मसूद भी संभावनाएं तलाश कर रहे हैं लेकिन अभी तक इस पर उन्होंने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है, बताया जा रहा है कि अभी तक आधिकारिक रूप से सपा की ओर से जिले की किसी भी सीट पर टिकट फाइनल नहीं किया गया है और सपा के कई बड़े नेता इमरान मसूद के संपर्क में है और इमरान मसूद का सम्मान वापस देने की भी एक कोशिश हो रही है।
इमरान मसूद का विकल्प तलाश करने लगे जिले के मुसलमान?
लंबे समय तक कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल रहे इमरान मसूद की अपने जिले में जमीनी पकड़ भी काफी मजबूत समझी जाती है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके मुकाबले बसपा के हाजी फजलुर्रहमान की जीत होने के बाद से लगातार इमरान मसूद के पैर भी डगमगाने लगे थे, इमरान मसूद को लगता था कि मुसलमानों ने अगर दूसरा विकल्प चुन लिया तो उससे उनकी राजनीति को जबरदस्त नुकसान हो सकता है इसीलिए इमरान मसूद ने सभी बड़े सम्मान मिलने के बावजूद कांग्रेस छोड़कर सपा में जाने का निर्णय लिया था। लेकिन सपा प्रमुख की रणनीति के कारण मसूद का यह फैसला गलत साबित हुआ जिससे उनके समर्थकों में भी काफी मायूसी देखने को मिल रही है। अगर इमरान मसूद के अगले कदम के बाद भी जिले के मुसलमान सपा की तरफ रुख करते हैं तो यह इमरान मसूद की राजनीति के लिए काफी तगड़ा झटका हो सकता है।
बताया जा रहा है कि इमरान मसूद बेहट से अपने लिए जबकि सहारनपुर देहात से वर्तमान विधायक और उनके साथ कांग्रेस छोड़कर सपा जॉइन करने वाले मसूद अख्तर के लिए टिकट चाह रहे थे लेकिन दोनों सीटों पर पहले से ही पार्टी के उम्मीदवार मुलायम सिंह के करीबी आशु मलिक को देहात सीट से जबकि शाही इमाम के दामाद उमर अली खान को बेहट सीट से टिकट मिलने के संकेत मिलने के बाद इमरान मसूद का पारा हाई हो गया और उन्होंने बगावती तेवर दिखा दिए।

समीर चौधरी।

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