हर सरकार में हुई मुसलमानों के साथ नाइंसाफी, सेकुलर दलों ने हमेशा मुसलमानों को ठगा, लखनऊ में असदुद्दीन ओवैसी ने युपी के मुसलमानों के संबंध में सरकारी आंकड़ों पर आधारित जारी की रिपोर्ट।

हर सरकार में हुई मुसलमानों के साथ नाइंसाफी, सेकुलर दलों ने हमेशा मुसलमानों को ठगा, लखनऊ में असदुद्दीन ओवैसी ने युपी के मुसलमानों के संबंध में सरकारी आंकड़ों पर आधारित जारी की रिपोर्ट।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुसलमानों का शोषण तमाम तथाकथित सेकुलर पार्टियों ने किया है। डराकर, बहला कर और लालच देकर उनसे वोट हासिल किया गया है। आज़ादी के बाद से उनके साथ हर सरकार ने नाइंसाफी की है। ये रिपोर्ट सरकार और विपक्षी दलों के लिए आईना है जिसमें वह अपना चेहरा देख सकते हैं।
इन विचारों को ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने व्यक्त किया। वह आज होटल फेयरफील्ड गोमती नगर लखनऊ में एक कॉन्फ्रेंस से संबोधन कर रहे थे। कॉन्फ्रेंस का आयोजन मजलिस की तरफ से किया गया था।

कॉन्फ्रेंस में एक रिपोर्ट का विमोचन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के मुसलमानों की स्थिति पर सरकारी रिपोर्टस से प्राप्त आंकड़े पेश किए गए हैं। यह रिसर्च रिपोर्ट श्री अमिताभ कुंडु, विकासशील देशों में अनुसंधान और सूचना प्रणाली के प्रमुख फेलो, अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या संस्थान, मुम्बई के प्रोफेसर चंद्र शेखर, समाजशास्त्र और राजनीति के प्रोफेसर क्रिस्टोफ जेफरलोट, किंग्स इंस्टीट्यूट लंदन, ओशा सान्याल विजिटिंग प्रोफेस, से विंगेट यूनिवर्सिटी नॉर्थ केरोलिना, विलियम जोए, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पी आर सी इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ दिल्ली, प्रोफेसर एसबी सुब्रमण्यम, हॉवर्ड विश्वविद्यालय में जनसंख्या और स्वास्थ्य और भूगोल के, सी रवि विजिटिंग प्रोफेसर सी एस एस हैदराबाद, एसवाई कुरैशी, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा तैयार की गई है।
कांफ्रेंस के समापन पर पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए मजलिस राष्ट्रीय अध्यक्ष बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अब तक पूरे देश के मुसलमानों पर सरकारी कमिशनों की रिपोर्टें आती रही हैं लेकिन यह रिपोर्ट खास उत्तर प्रदेश से संबंधित है। हमने यह रिपोर्ट इसलिए छापी है ताकि सेकुलर पार्टियां और जनता, मुसलमानों के साथ की गई नाइंसाफी को जान सके। मुसलमानों के साथ हर स्तर पर जुल्म हुआ है।
उनकी आबादियों में ना स्कूल हैबना अस्पताल, और ना बैंक की सुविधाएं हैं। उनका ड्रॉपआउट रेट सबसे ज्यादा है। उनके लिए अलग से बजट भी नहीं दिया जाता। बंगाल जैसे राज्य ने 2021 में मुसलमानों के लिए NMFDC के माध्यम से 300 करोड रुपए लोन दिया और उत्तर प्रदेश में सिर्फ ₹21 करोड़ दिया गया।
मदरसों के शिक्षकों को 2 साल से ज्यादा अरसे से तनख्वाह नहीं मिली है। हम तमाम सेकुलर पार्टियों और राज्य सरकारों से मांग करते हैं कि वह इस रिपोर्ट का अध्ययन करें अपना जायजा लें और अपने मेनिफेस्टो में इसके मुताबिक मुसलमानों की तरक्की के लिए रोड मेप बनाएं और नाइंसाफी का खात्मा करें। सरकार को चाहिए कि वह मुस्लिम इलाकों में ज्यादा से ज्यादा स्कूल खोलें, बैंक स्थापित करें।

पलायन करने वाले मुसलमानों के लिए स्कीम लाएँ। रिपोर्ट में बताया गया है की उत्तर प्रदेश देश का बड़ा राज्य है जहां देश की आबादी का 16% हिस्सा रहता है। उसमें मुसलमानों की आबादी 19.25% है जबकि देश में मुसलमानों का अनुपात 14.5 प्रतिशत है। यहां राजकीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के अलावा 44 विश्वविद्यालय हैं।
यहां बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी,इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और दारुल उलूम देवबंद जैसे प्रसिद्ध संस्थाएं मौजूद हैं फिर भी 41% मुसलमान अनपढ़ हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह अनुपात 34% है, 28.49 प्रतिशत मुसलमान प्राइमरी तक और 16% मुसलमान मिडिल तक शिक्षा हासिल करते हैं और 4% मुसलमान विश्वविद्यालय तक जाते हैं। रोजगार के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर 31% के मुकाबले में उत्तर प्रदेश का अनुपात 25% है और मुसलमानों की अक्सरियत मामूली काम करके गुजारा करती है।
दौलत और सम्पति के मामले में 2014-15 की स्टडी के अनुसार 58% मुसलमानों के पास जमीन नहीं है। गरीबी के मामले में 2009-10 का नेशनल सैंपल सर्वे बताता है कि राज्य में मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ ₹752 है हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर ₹988 है। कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर वेंकट नारायण मोटकोरी, अंजना दिवाकर, डॉक्टर अमीरउल्लाह खान ने रिपोर्ट की रोशनी में अपने विचारों को व्यक्त किया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश मजलिस के अध्यक्ष शौकत अली, दिल्ली मजलिस के अध्यक्ष कलीमुल हफ़ीज़, राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान और आसिम वक़ार भी शरीक थे।

DT Network

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