जमीयत अध्यक्ष के भतीजे को चुनावी मैदान में उतारने से ओवैसी को क्या होगा सियासी लाभ?

जमीयत अध्यक्ष के भतीजे को चुनावी मैदान में उतारने से ओवैसी को क्या होगा सियासी लाभ?
(शिब्ली रामपुरी)
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन  (एआईएमआईएम) ने यूपी के विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों की एक और सूची जारी कर एक बार को सबको चौंका दिया. दरअसल ओवैसी ने सहारनपुर की देवबंद सीट से जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के भतीजे को चुनावी मैदान में उतारा है।
मौलाना महमूद मदनी पूरे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में प्रसिद्ध हैं और कुछ साल पहले उन्होंने अपने एक बयान में एमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी पर कड़ा प्रहार करते हुए उनके सियासी नेतृत्व पर सवाल भी उठाए थे हालांकि कुछ वक्त से मौलाना महमूद मदनी का नजरिया ओवैसी के प्रति काफी नरम दिखाई देता है.
 महमूद मदनी की ओर से ओवैसी की खुले तौर पर हिमायत तो नहीं की गई है लेकिन उन्होंने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में ये जरूर कहा था कि अगर कहीं पर ओवैसी के प्रत्याशी भी योग्य हैं तो मुसलमानों को उनको भी वोट देना चाहिए।

 ओवैसी ने अब अपनी पार्टी से मौलाना महमूद मदनी के ही भतीजे मौलाना उमेर मदनी को चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने का मौका दिया है तो ऐसे में क्या ओवैसी को यूपी में इसका राजनीतिक फायदा मिल सकता है? इस बारे में कुछ लोगों का मानना है कि ओवैसी ने ऐसा करके एक बड़ा कदम उठाया है और इसका कम या ज्यादा तौर पर उनको यूपी के विधानसभा चुनाव में सियासी फायदा जरूर मिलेगा. दूसरी ओर देवबंद सीट पर जमीयत अध्यक्ष के भतीजे को एमआईएम प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कई प्रत्याशियों के सियासी समीकरण बिगड़ सकते हैं।

Post a Comment

0 Comments

देश