हरिद्वार की धर्म संसद हिंसक बयानबाजी के खिलाफ सशस्त्र बलों के पांच पूर्व प्रमुखों और सौ से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।

हरिद्वार की धर्म संसद हिंसक बयानबाजी के खिलाफ सशस्त्र बलों के पांच पूर्व प्रमुखों और सौ से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।
नई दिल्‍ली: सशस्‍त्र बलों के पांच पूर्व प्रमुखों और सौ से अधिक प्रमुख लोगों ने, जिसमें नौकरशाह, गणमान्‍य नागरिक शामिल हैं, ने हाल में आयोजित धर्म संसद में नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। हाल में हरिद्वार और कुछ अन्‍य स्‍थानों हुए ऐसे आयोजनों में  मुस्लिमों के नरसंहान का आह्वान किया गया था। पत्र में ईसाइयों, दलितों और सिखों जैसे अन्‍य अल्‍पसंख्‍यकों को टारगेट किए जाने का भी जिक्र है।

एनडीटीवी हिंदी के अनुसार, पत्र में लिखा गया है, 'हम 17 से 19 दिसंबर के बीच उत्‍तराखंड के हरिद्वार में आयोजित हिंदु साधुओं और अन्‍य नेताओं की धर्मसंसद में दिए गए भाषणों की सामग्री (कंटेट) से आहत है. इसमें लगातार हिंदू राष्‍ट्र की स्‍थापना के लिए आव्‍हाने किया गया और इसके लिए जरूरत पड़ने पर हथियार उठाने और हिंदू धम की रक्षा के लिए भारत के मुस्लिमों को मारने की भी बात कही गई।
'गौरतलब है कि हरिद्वार में एक धर्म संसद में वक्‍ताओं के 'कड़वे बोल' को लेकर नाराजगी जाहिर की गई थी। इस धर्म संसद में वक्‍ताओं ने कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्‍ट्र' के लिए संघर्ष का आह्वान किया। गौरतलब है कि हरिद्वार में एक धर्म संसद में वक्‍ताओं के 'कड़वे बोल' को लेकर नाराजगी जाहिर की गई थी।
इस धर्म संसद में वक्‍ताओं ने कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्‍ट्र' के लिए संघर्ष का आह्वान किया।
खास बात यह है कि वक्‍ताओं को ऐसे भाषणों को लेकर पछतावा भी नहीं था। हरिद्वार के कार्यक्रम का आयोजन एक धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद ने किया था, जिन पर इससे पहले भी नफरत भरे भाषणों से हिंसा को बढ़ावा देने के आरोप लग चुके हैं।

साभार - एनडी टीवी हिंदी

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