दारूल उलूम देवबंद के दरवाज़ हमेशा सभी के लिए खुले हैं, असदुद्दीन ओवैसी को दारूल उलूम आने की इजाज़त ना मिलने पर मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने दी पहली प्रतिक्रिया।

दारूल उलूम देवबंद के दरवाज़ हमेशा सभी के लिए खुले हैं, असदुद्दीन ओवैसी को दारूल उलूम आने की इजाज़त ना मिलने पर मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने दी पहली प्रतिक्रिया।
देवबंद: विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने स्पष्ट किया है कि संस्था के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं जो जब चाहे यहां आ सकता है हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दारुल उलूम देवबंद का राजनीति से कोई संबंध नहीं है ये ख़ालिस दीनी इदारा है। 

शानिवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख व सांसद असदुद्दीन ओवैसी को दारुल उलूम में आने की इजाजत ना मिलने के बाद सोशल मीडिया पर शुरु हुई बहस को लेकर दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ये प्रतिक्रिय दी है। मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं। लेकिन चुनावी मौसम में यहां आने वाले सियासी लोगों से संस्था का कोई भी जिम्मेदार मुलाकात नहीं करेगा। यह निर्णय पहले से ही लिया हुआ है। 

करीब एक सप्ताह पूर्व एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी सहारनपुर में एक जनसभा को संबोधित करने के लिए आए थे। बताया गया है कि ओवैसी दारुल उलूम में आना चाहते थे। कुछ लोगों ने इस संबंध में संस्था के जिम्मेदारों से संपर्क भी किया था। लेकिन उन्हें इजाजत नहीं मिल पाई थी। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर बहस चल रही है।

मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि चुनावी सरगर्मियां शुरु हो चुकी हैं और विभिन्न दलों के नेता आसपास इलाकों में आने जाने लगे हैं। जबकि संस्था कई वर्ष पूर्व यह निर्णय लिया हुआ है कि चुनावी माहौल में संस्था में किसी भी नेता का स्वागत नहीं किया जाएगा और न ही कोई जिम्मेदार उनसे मुलाकात करेगा। साफ किया कि कुछ लोग ओवैसी के संस्था में आने तथा मजार-ए-कासमी कब्रिस्तान में बुजुर्गों की कब्रों पर फातिहा पढ़ने के संबंध में उसने बात करने के लिए आए थे। जिन्हें अपने पूर्व के रुख से अवगत करा दिया गया था। 

मौलाना नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम हमेशा से कहता आया है कि यह एक दीनी इदारा है इसका सियासत से कोई ताल्लुक नहीं है। क्योंकि पूर्व में यह देखा जा चुका है कि कुछेक नेता चुनावी सरगर्मियों के बीच यहां पहुंचे और उन्होंने इसका इस्तेमाल राजनीति के लिए किया। 

समीर चौधरी।

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