बज़्म अदब अमरोहा के ज़ेर एहतमाम "एक शाम उस्ताद ज़मीर के नाम" का आयोजन।

जब अना अपनी बुलंदी को पहुँच जाती है
तब कही जा के मौहब्बत पे ज़वाल आता है।

बज़्म अदब अमरोहा के ज़ेर एहतमाम "एक शाम उस्ताद ज़मीर के नाम" का आयोजन।

अमरोहा:  बज़्मे अदब अमरोहा की जानिब से उर्दू अदब की मशहूर शख़्सियत उस्ताद ज़मीर अमरोहवी के एज़ाज़ में ब्रिटिश इंग्लिश स्कूल मोहल्ला बगला अमरोहा में एक शेरी निशस्त मुनाकिद की गई।
जिस की सदारत हाजी खुर्शीद अनवर ने की, मेहमाने खुसुसी डॉ. सिराज उद्दीन हाशमी और कौसर अली अब्बासी रहे जबकि निज़ामत अनीस अमरोहवी ने की।

मुशायरे का आगाज़ क़ासिम अंसारी ने नात ए पाक से किया। उसके बाद मुशायरे में तशरीफ लाए शायरों ने शेर पढ़ कर खूब दाद हासिल की।

नुदरत नवाज़ ने कहा --- दौर ऐसा भी हम को निभाना पड़ा, जाहिलो को गले से लगाना पड़ा।

ज़ीशान अली शौक़ ने कहा --- मेरी गरीबी का निकला ये आखरी अंजाम, के ज़िक्र मेरा मेरे खानदान में भी न था।

एड. हबीब अहमद --- हम भी जी लेंगे सनम तेरे बिना, ये क़सम झूटी मै खाऊं कैसे।

गुलरेज़ अब्बासी ने कहा --- तुमने जब खुद को अकेला कभी पाया होगा, मेरी यादों के सिवा कोई न आया होगा। 

शीबान क़ादरी ने कहा --- जब अना अपनी बुलंदी को पहुँच जाती है
तब कही जा के मौहब्बत पे ज़वाल आता है।

डॉ. नासिर अमरोहवी ने कहा ---- तलाश लिजिए सीने की अपने, हमारा दिल वहीं रक्खा हुआ है।

अन्दाज़ अमरोहवी ने कहा --- कब तलक दोगे अर्ज़ियाँ प्यारे, राज रिश्वत का है यहाँ प्यारे। 

मेहरबान अमरोहवी ने कहा --- या इलाही मेरा पुरनूर मुक़द्दर कर दे, नूरे क़ुरआँ से मेरे दिल को मुनव्वर कर दे।

अनीस अमरोहवी ने कहा ---- अजदाद की रिवायते टूटे न इस तरह, अच्छी नही है सेहन में दीवार देख ले।

नाज़िश मुस्तफा ने कहा --- खिज़ा का भी मौसम लगे है सुहाना, दीवाना ये दिल इस क़दर हो गया है।

अमजद अमरोहवी ने कहा --- अमजद वो चाहे जैसा भी करता रहे सुलूक, उस की हर एक बात निभाते रहे हैं हम।

माईल अमरोहवी ने कहा --- खुदाया कब तलक दीवार पर लटका रहूँ तन्हा, निकाले कोई आकर कागज़ी तस्वीर से मुझको।

गुलरेज़ अब्बासी ने कहा --- तुमने जब खुद को अकेला कभी पाया होगा, मेरी यादों के सिवा कोई न आया होगा। 

फ़ैज़ आलम ने कहा --- क्या मिला तुम से दिल लगाने में, मै ही रुस्वा हुआ ज़माने में।

क़ासिम अंसारी ने कहा --- पत्थरों ने भी गवाही जिस की दी, इतनी आला है रिसालत आपकी।

इनके अलावा हबीब अहमद एडवोकेट, जमशेद नवाज़, शहज़ाद परवेज़, ज़ैद ज़ैदी ने भी कलाम पेश किया। 
महफ़िल के आख़िर में प्रोग्राम के कनवीनर मेहरबान अमरोहवी व गुलरेज़ अब्बासी ने प्रोग्राम में तशरीफ लाए सभी लोगो का शुक्रिया अदा किया।
महफिल में परवेज़ आरिफ उर्फ टीटू, फहीम शाहनवाज़, इकराम ज़ैदी, एड. अज़ीम, वसीम भारती, नईम अहमद, एड. गुलरेज़ आरिफ, शुजा अंसारी, मास्टर वसीम,हाशिम, वगैरह मोजूद रहे।

रिर्पोट:सालार ग़ाज़ी

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