पूरी इंसानियत मोहम्मद साहब के तऱीके पर अमल कर ही अमन व सुकून को हासिल कर सकती है : मुफ़्ती अफ्फान मंसूरपुरी (सालार ग़ाज़ी )

पूरी इंसानियत मोहम्मद साहब के तऱीके पर अमल कर ही अमन व सुकून को हासिल कर सकती है : मुफ़्ती अफ्फान मंसूरपुरी (सालार ग़ाज़ी )


अमरोहा: मुस्लिम कमेटी अमरोहा के तत्वावधान में जशने ईद ए मीलादुननबी सलल0 की 17 रोज़ा तक़रीबात का पहला प्रोग्राम नातिया मुशायरा हर साल की तरह इस साल भी मास्टर असलम उस्मानी के मकान मोहल्ला नौबत खाना पर ज़ेरे सदारत हाजी नसीम खा सद्र मुस्लिम कमेटी अमरोहा आयोजित हुआ मुशायरे का संचालन नौजवान शायर स0 शीबान क़ादरी और असलम उस्मानी ने किया । मेहमान ए खुसूसी के तौर पर उस्ताद ए हदीस हज़रत मौलाना मुफ़्ती सैय्यद मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी ने शिरकत की और बसीरत अफ़रोज़ तक़रीर पेश की और हुज़ूर के बताए रास्तो पर चलने की ताकीद की। मुशायरे का आगाज़ तिलावते कुरआन से किया। मुफ़्ती अफ्फान मंसूरपुरी ने मज़ीद कहा कि इंसान अपना जायजा़ ले और गौर करे कि सरापा रहमत मुहम्मद साहब की जिंदगी के तरीकों को किस कदर वह अपनी ज़िंदगी में जगह देरहा है अपने रात दिन कितने उनके तरीको के मुताबिक गुज़ार रहा है।
अगर इंसान ने रबी उल अव्वल से मुहम्मद अरबी साहब की सिरत को हासिल कर लिया तो यकि़नन वह कामयाब है इंसान को यह खुब अच्छी तरह से यह समझ लेना चाहिए कि उसकी कामयाबी मुहम्मद साहब के तरीकों पर अमल करने में है और सारी इंसानियत इसी तरीके पर अमल करके अमन और सुकून को हासिल कर सकती है।
 मुशायरे का आगाज़ तिलावते कुरआन से किया ।जिस के बाद नातिया नशिसत में मशहूर शायरों ने नात शरीफ का नज़राना बारगाहे रिसालत में पेश किया।चुनिंदा अशआर इस तरह हैं 

*मिर्ज़ा साजिद ने कहा*---- बाद में तुम मेरी आमाल शुमारी करना, ले चलो पहले फरिश्तों मुझे सरकार के पास

*मतीन अमरोहवी ने कहा*---मैं तो समझा था के मैं क़दमों की उनके धूल हूँ, फिर खयाल आया के ये भी खुद सताई हो गयी

*जुनैद अकरम ने कहा*---- तेरी मर्ज़ी है तू जन्नत में जहाँ रख लेकिन, ऐ खुदा दिल तो मेरा क़ुर्ब ए मुहम्मद चाहे

*स0 शीबान क़ादरी ने कहा* --- मैं नात कहने को बेताब होता हूँ जब भी, मेरे हुज़ूर की फ़ौरन मदद पोहोंचती है। 

*ज़ुबैर इब्ने सैफी ने कहा* ----दरे नबी पे जिसे क़ैद कर के रख्खा जाए, दुआ करो के वो मुजरिम कभी बहाल न हो

*लाड़ले रहबर ने कहा*---- आँखें मेरी दहलीजे मोहम्मद पे टिकी हैं, इस वास्ते मैंने कभी नीचा नही देखा। 

*हबीब अहमद ने कहा*---दो जहां में जिस की कीमत बढ़ रही है दिन ब दिन,एक अरसे से चलन में है वो सिक्का आपका।

*डॉ0 मुबारक अमरोहवी ने कहा*---- उनके नज़दीक हो जाओगे,सब से रिश्ता रखो प्यार का

इन के अलावा साद अमरोहवी,अनस मिर्ज़ा, नासिर अमरोहवी, अफ़सर परवेज़, हबीब अहमद, गुरलेज़ अब्बासी, व दीगर हज़रात ने भी नातिया कलाम पेश किये। इस अवसर पर हाजी नसीम खां,अली इमाम रिज़वी, हाजी खुरशीद अनवर, मंसूर अहमद एड.,सरताज आलम मंसूरी, क़मर नक़वी, हसन शुजा, मरगुब सिद्दीकी, ओवैस रिज़वी, दानिश सिद्दीकी, अब्दुल क़य्यूब रायनी, डॉ0 नज्म उन नबी, सूफी निशात, सरकार आलम , दिलशाद मूवीज़, खुर्शीद ज़ैदी, डॉ0 चंदन नक़वी, आदि मौजूद थे। मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान साहिब ने मुल्क में अमन ओ अमान की दुआ कराई । दुआ के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ। कार्यक्रम संयोजक असलम उस्मानी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

जिस के बाद नातिया नशिसत में मशहूर शायरों ने नात शरीफ का नज़राना बारगाहे रिसालत में पेश किया।चुनिंदा अशआर इस तरह हैं।

मिर्ज़ा साजिद ने कहा---- बाद में तुम मेरी आमाल शुमारी करना, ले चलो पहले फरिश्तों मुझे सरकार के पास

मतीन अमरोहवी ने कहा---मैं तो समझा था के मैं क़दमों की उनके धूल हूँ, फिर खयाल आया के ये भी खुद सताई हो गयी

जुनैद अकरम ने कहा---- तेरी मर्ज़ी है तू जन्नत में जहाँ रख लेकिन, ऐ खुदा दिल तो मेरा क़ुर्ब ए मुहम्मद चाहे

स0 शीबान क़ादरी ने कहा --- मैं नात कहने को बेताब होता हूँ जब भी, मेरे हुज़ूर की फ़ौरन मदद पोहोंचती है। 

ज़ुबैर इब्ने सैफी ने कहा----दरे नबी पे जिसे क़ैद कर के रख्खा जाए, दुआ करो के वो मुजरिम कभी बहाल न हो

लाड़ले रहबर ने कहा---- आँखें मेरी दहलीजे मोहम्मद पे टिकी हैं, इस वास्ते मैंने कभी नीचा नही देखा। 

हबीब अहमद ने कहा---दो जहां में जिस की कीमत बढ़ रही है दिन ब दिन,एक अरसे से चलन में है वो सिक्का आपका।

डॉ0 मुबारक अमरोहवी ने कहा---- उनके नज़दीक हो जाओगे,सब से रिश्ता रखो प्यार का

इन के अलावा साद अमरोहवी,अनस मिर्ज़ा, नासिर अमरोहवी, अफ़सर परवेज़, हबीब अहमद, गुरलेज़ अब्बासी, व दीगर हज़रात ने भी नातिया कलाम पेश किये। इस अवसर पर हाजी नसीम खां,अली इमाम रिज़वी, हाजी खुरशीद अनवर, मंसूर अहमद एड.,सरताज आलम मंसूरी, क़मर नक़वी, हसन शुजा, मरगुब सिद्दीकी, ओवैस रिज़वी, दानिश सिद्दीकी, अब्दुल क़य्यूब रायनी, डॉ0 नज्म उन नबी, सूफी निशात, सरकार आलम , दिलशाद मूवीज़, खुर्शीद ज़ैदी, डॉ0 चंदन नक़वी, आदि मौजूद थे। मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान साहिब ने मुल्क में अमन ओ अमान की दुआ कराई । दुआ के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ। कार्यक्रम संयोजक असलम उस्मानी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

रिर्पोट:  सालार गाजी
Posted By: समीर चौधरी

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