सहारनपुर: एमपी-एमएलए अदालत सहारनपुर ने कैराना से समाजवादी पार्टी के विधायक नाहिद हसन को सरकारी काम में बाधा डालने, थाने का घेराव करने और तोड़फोड़ जैसे आरोपों से बइज्जत बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि पेश किए गए सबूतों और गवाहों के आधार पर नाहिद हसन के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके।
नाहिद हसन के वकील चौधरी जानिसार एडवोकेट ने बताया कि यह मामला अप्रैल 2012 का है, जब नाहिद हसन सहारनपुर जिले के सरसावा थाना क्षेत्र में स्थित एक कब्रिस्तान पर कथित कब्जे की शिकायत पर मौके पर पहुंचे थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने थाने का घेराव किया, सड़क जाम की और सरकारी कर्मचारियों को काम करने से रोका। साथ ही, उन पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया गया था।
पुलिस ने इस घटना के संबंध में नाहिद हसन सहित दस लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और जांच पूरी होने के बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए अदालत में पिछले कई सालों से चल रही थी।
मंगलवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई के दौरान विधायक नाहिद हसन खुद अदालत में मौजूद थे। उनके वकील ने अदालत के सामने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए तर्क दिया कि यह मामला राजनीतिक रंजिश का नतीजा है और उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है। दूसरी ओर, सरकारी वकील ने भी अपने तर्क पेश किए।
अदालत ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद गवाहियों, गवाहों और दस्तावेजों की पूरी जांच की। सभी सामग्री की समीक्षा के बाद अदालत ने पाया कि नाहिद हसन के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके, इसलिए अदालत ने उन्हें इस मामले से बइज्जत बरी कर दिया।
समीर चौधरी।
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