तुम्हे तो रोज़ नई खिड़कियां बदलनी है.... बज़म ए उर्दू अदब देवबंद के तत्वावधान में हुआ मुशायरा का आयोजन, शायरों ने सुनाया बेहतरीन कलाम।

देवबंद: बज़म ए उर्दू अदब देवबंद के तत्वावधान में "जश्न ए शहजाद गुलरेज" नाम से महफिल ए मुशायरा का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न जनपदों से आए शायरों ने अपना खूबसूरत कलाम सुनाकर श्रोताओं से देर रात तक वाह वाली लूटी।
बुधवार की रात मोहल्ला अबुल माली में आयोजित हुए मुशायरा का उदघाटन समाजसेवी दिलशाद गोड ने फीता काटकर और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेश दहिया ने शमा रोशन कर किया। नात ए पाक से शुरू हुए मुशायरे में शायर जावेद आसी का यह शेर खूब पसंद किया गया ‘मिरी किस्मत है हिंदुस्तान जैसी, मुझे अपनों ने ही लूटा बहुत है’। शायर शहजादा गुलरेज ने अपने खास अंदाज में सुनाया ‘बजाए सीने के आंखों मे दिल धडक़ता है, ये इंतज़ार के लम्हे अजीब होते हैं’। काशिफ रजा ने सुनाया ‘शेर कहने को तो कह लूंगा मगर शर्त ये है, तुम मेरे सामने बैठोगे गज़़ल होने तक’। वसीम झिंझानवी ने कुछ यूं कहा ‘अना मेरी मेरा रुतबा वो मेरी शान था पहले, जो मेरा जानी दुश्मन था वो मेरी जान था पहले’। अकबर बुटराड़वी का यह शेर भी काफी पसंद किया गया ‘भाई जब हमला करता है भाई पर, शक होता है आपकी राह नुमाई पर’। अलतमश अब्बास ने कहा ‘तुम्हे तो रोज़ नई खिड़कियां बदलनी है, हमारा एक दरीचा है हम कहां जाएं’। इनके अलावा फैजान मंगलोरी, इंतिखाब संभली, अफऱोज़ टांडवी, नवीन नीर चंडीगढ़, अलीम वाजिद, नवाज़िश नजर, हसन काशफी, शोएब जमाल, मुरसलीन माहिर ने भी अपना कलाम सुनाया। अध्यक्षता सैय्यद अली हैदर ज़ैदी और संचालन कारी हसनेन ने किया। इस जिला पंचायत चेयरमैन माजिद अली, मुस्तफीज़ काशफी, अकील अहमद, कारी आफताब, डा. जुबैर अंसारी, मुफ्ती यादे इलाही कासमी, फैसी सिद्दीकी, अफजाल कुरैशी, शादाब गोड समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। अंत में संयोजक राशिद कमाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।

समीर चौधरी।

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