देवबंद: श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी मेले में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में बृहस्पतिवार की रात्रि ऑल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसमें देश के नामचीन शायरों ने कलाम पेश कर श्रोताओं की जमकर वाहवाही बटोरी। प्रसिद्ध शायर महशर आफरीदी ने सुनाया..जमीं पर घर बनाया है मगर जन्नत में रहते हैं, हमारी खुशनसीबी है कि हम भारत में रहते हैं।
मेला पंडाल में आयोजित हुए मुशायरा का उद्घाटन सभासद शाहिद हसन ने फीता काटकर जबकि समाजसेवी कारी अब्दुल मतीन शमा रोशन कर किया। प्रसिद्ध शायरा शाइस्ता सना ने पढ़ा..किसी को गम ने किसी को खुशी ने मार दिया, जो बच गए तो उन्हें जिंदगी ने मार दिया। निकहत अमरोहवी ने कुछ यूं कहा..आसमां छू कर भी ऊंचा नहीं होता वो शख्स, हम जिसे अपनी निगाहों से गिरा देते हैं। कुणाल दानिश ने अपने जज्बात इस तरह बयां किए..नन्हें परों की जान के पीछे पड़े रहे, बचपन से हम उड़ाने के पीछे पड़े रहे, इतनी बड़ी जमीन अता की गई हमें, फिर भी हम आसमान के पीछे पड़े रहे। मशहूर शायर अलमतश अब्बास ने पढ़ा..किसी ने मुझसे जो पूछा तुम्हारी जात है क्या, कलम उठाया और इंसान लिख दिया मैंने। हाशिम फिरोजाबादी ने कहा..आसमां छोड़ों जमीं का नहीं छोड़ा तुमने, ऐसा छोड़ा की कहीं का नहीं छोड़ा तुमने। दानिश गजल मेरठी ने कहा..मुझे पैरों की जूती कहने वाले, मेरे अजदाद की दस्तार हूं मैं। हास्य शायर सज्जाद झंझट ने गुदगुदाते हुए सुनाया..इतना तरसाया है शादी की तम्माना ने मुझे, अब तो हर शख्स मुझे अपना ससुर लगता है। अमजद खान अमजद ने अपने जज्बातों को कुछ इस तरह बयां किया..हमको मंजिल पे पहुंचने का जुनूं ऐसा था, रुक के देखे ही नहीं पांव के छोले हमने सुनाकर देर रात्रि तक श्रोताओं की जनकर दाद बटोरी। इनके अलावा इकबाल अशहर, अलताफ जिया, वसीम झिंझानवी, नवीन मीर, अंसार सिद्दीकी, कलीम नूरी आदि ने भी अपना कलाम सुनाया। कार्यक्रम में नगर पालिका की मेला कमेटी और अतिथियों को सम्मानित किया गया। अध्यक्षता शायर शम्स देवबंदी व संचालन नदीम फुर्रुख ने किया। मुशायरा संयोजक सुहैल आतिर व सह संयोजक औसाफ सिद्दीकी ने सभी का आभार जताया। इसमें हाजी शाहिद सुहैल, अशरफ कुरैशी, फारुक नंबरदार, दानिश सिद्दीकी, हुमैर अली खान आदि मौजूद रहे।
समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।
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