फिर पाला बदलने को तैयार नेताजी? राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज़।

सहारनपुर: ज़िले के तेज़ तर्रार और कद्दावर नेता इमरान मसूद आज की तारीख़ में बसपा के वरिष्ठ नेता हैं मगर लोगों की ज़ुबान पर ये बात तेज़ी से गर्दिश कर रही हैं कि इमरान जल्द ही एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के वरिष्ठ नेता बनने जा रहे हैं। सहारनपुर ही नही बल्कि पश्चिम के कई जिलों में अपना असर रखने वाले इमरान अभी बसपा में हैं और हाल फिलहाल ही उन्होंने अपनी समधिन और चचाज़ाद भाई की बीवी को बसपा से मेयर चुनाव भी लड़ाया था मगर भाजपा प्रत्याशी की आंधी के सामने वो चुनाव नही जीता पाए, लेकिन उसके बावजूद भी युवा मुस्लिम मतदाता इमरान मसूद को किसी भी हाल में और किसी भी हद तक पसन्द करता है।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तमाम राजनीतिक दल अपनी गोटियां बिछा रहे हैं वहीं बसपा ने भी बाकी सबकी तरह अभी तक अपने पत्ते नही खोले हैं,जहां बसपा के वर्तमान सांसद हाजी फजलुर्रहमान कुरैशी अपने टिकट को लेकर काफ़ी हद तक संतुष्ट हैं वहीं इमरान मसूद और उनके समर्थक भी इमरान के टिकट को लेकर तकरीबन निश्चिंत ही दिखाई देते हैं,मगर अवाम और खास तौर पर मुसलमानों में मायावती को लेकर जो अनिश्चितता है वो नेताओँ में भी है और इमरान मसूद के समर्थकों में भी,वहीं आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A.की लगातार सरगर्मियों पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, भाजपा को वोट न करने वाले तमाम मतदाता बड़ी उम्मीद के साथ इस गठबंधन की तरफ देख रहे हैं तो जाहिर बात है कि इमरान मसूद की पैनी निगाहें भी इससे अनजान तो कतई नही होंगी,मजबूत राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि इमरान मसूद एक बार फिर से कॉंग्रेस में एंट्री के लिए अपनी जोड़तोड़ लगा रहे हैं मगर दिल्ली और लखनऊ के सूत्रों के मुताबिक उनकी एंट्री में सबसे बड़ी बाधा प्रियंका गांधी का वो बयान है जिसमे प्रियंका ने कहा था कि जब तक वो उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं तब तक इमरान की कॉंग्रेस में एंट्री नही होने देंगी कियूंकि उन्होंने हमारे परिवार और कॉंग्रेस के साथ गद्दारी की है,
इसमें कोई शक भी नही कि कॉंग्रेस ने इमरान को बेहिसाब तवज्जो दी इज़्ज़त दी और पहचान दी, इमरान बहुत कम वक्त में कॉंग्रेस की उस लीडरशिप में दाखिल हो गए थे जहां तक पहुंचना तकरीबन नामुमकिन समझा जाता है, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दरबार मे इमरान डायरेक्ट एंट्री करते थे जो बड़े बड़े कोंग्रेसी नेताओ के लिए एक सपना सरीखा होता है, बताया जाता है कि सोनिया राहुल और प्रियंका अपना हर अच्छा बुरा इमरान के साथ शेयर करते थे और इमरान के पार्टी छोड़ने से इस परिवार को ज़ाती तकलीफ़ हुई थी और वही तकलीफ़ और दर्द प्रियंका ने अपने उस बयान में ज़ाहिर किया था।
ख़ैर राजनीति में कब किया हो जाये इसके बारे में कोई भी यकीन के साथ कुछ नही कह सकता,कौन दोस्त कब दुश्मनों की जमात में शामिल हो जाये और कौन दुश्मन कब अज़ीज़ हो जाये ये हमेशा चलता ही रहता है, बताया जा रहा है कि कॉंग्रेस के कई बड़े लीडर जो इमरान की अहमियत समझते हैं वो प्रियंका दरबार मे दिन रात जुगत लगा रहे हैं और उनको ये समझाने में मजबूती के साथ जूटे हुवे हैं कि राजनीति में कोई भी स्थाई दोस्त या स्थाई दुश्मन नही होता,और अगर इमरान मसूद के ये कोंग्रेसी मित्र गांधी परिवार को ये समझाने में कामयाब हो गए तो फिर इमरान की कॉंग्रेस में एंट्री आसान भी हो जाएगी और यक़ीनी भी।
बहरहाल अभी तो इमरान मसूद और उनके दरबारी यही कह रहे हैं कि हम बसपा के सच्चे सिपाही हैं और मैदान से पीठ दिखाकर बिल्कुल नही भागेंगे मगर राजनीतिक सूत्रों की अगर मानें तो प्रियंका की हाँ के बाद इमरान की कॉंग्रेस में एंट्री में ज़्यादा वक़्त बिल्कुल भी नही लगने वाला।

फ़ैसल खान (वरिष्ठ पत्रकार)

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