आखिर इमरान मसूद की पार्टी के प्रति वफादारी में कहां कमी रह गई थी?

सहारनपुर: (शिब्ली रामपुरी) बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के दिशा निर्देश पर जिस तरह से इमरान मसूद को बसपा से निष्कासित किया गया है उसके बाद यह चर्चा भी राजनीतिक हल्को में कहीं ना कहीं तैर रही है कि आखिरकार पूर्व विधायक इमरान मसूद की बसपा के प्रति वफादारी में कहां कमी रह गई थी जो उनको इस तरह से पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया?

माना जा रहा है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ करने पर उनको बाहर का रास्ता दिखाया गया है लेकिन यह भी एक सच है कि इमरान मसूद के अंदर यह बगावत तभी से पैदा हुई कि जब लखनऊ में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा उनको नजरअंदाज किया गया और इस बैठक में इमरान मसूद को नहीं बुलाया गया था जिसके बाद इमरान मसूद ने एक टीवी चैनल से इंटरव्यू में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जमकर तारीफ की।

इमरान मसूद के बारे में अगर यह कहा जाए कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में बसपा को मजबूत करने के लिए कोई कोशिश नहीं की तो शायद यह बात बेमायने होगी क्योंकि जिस दिन से इमरान मसूद को बसपा में शामिल किया गया था तभी से लेकर वह लगातार उत्तर प्रदेश में पार्टी की मजबूती के लिए कार्य कर रहे थे इसके लिए उन्होंने देवबंदी उलेमा से लेकर बरेली में जाकर वहां के उलेमा से भी मुलाकात की और लगातार वह यही कहते रहे कि भाजपा को शिकस्त देने में दलित मुस्लिम समीकरण के सहारे बसपा ही बेहतर और मज़बूत विकल्प है. ऐसे में बहुत लोगों को इमरान मसूद के बसपा से निष्कासित किए जाने पर हैरत हुई है और साथ में अफसोस भी हुआ है कि किस तरह से इमरान मसूद को नजरअंदाज कर दिया गया।

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