यौन-ए-आशूरा पर थीतकी गांव में निकाला गया मातमी जुलूस, हाय हुसैन की सदाओं के साथ सोगवारों ने छूर्रियों और जंजीरों से अपने शरीर को किया लहूलुहान।

देवबंद: करबला के मैदान में हजऱत इमाम हुसैन को यज़ीदी लशकर द्वारा शहीद कर दिए जाने की याद में यौम ए आशुरा पर शिया सोगवारों ने जुलूस निकाला। हाय हुसैन की सदाएं बुलंद कर रहे सोगवारों ने अपने शरीर पर छूरियां, जंजीरें व कमाह बरसाते हुए अपने आपको लहूलुहान कर मातम किया। इसके बाद गमगीन माहौल में जुलूस को करबला तक ले गए जहां ताजियों को दफनाया गया।
कोतवाली क्षेत्र के गांव थीतकी में शिया सोगवारों ने 9 मोहर्रम की रात में जागकर शब्बेदारी कर मजलिस की। शिया धर्मगुरूओं ने करबला का बेहद दर्द भरा किस्सा बयान किया जिसे सुनकर सोगवारों की आंखों से आंसू बहने लगे। शनिवार यानी 10 मोहर्रम की सुबह सभी लोग नमाज ए आशुरा अदा करने के लिए जंगल गए। नमाज के बाद यजीदों द्वारा करबला में शहीद किए गए हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार की याद में मातमी जुलूस निकाला गया। 
चाक गिरेबां काले कपड़े पहने हुए शिया सोगवारों ने छूर्रियों, कमाह, जंजीरों और तेज धार ब्लेडों से अपने शरीर को लहूलुहान कर मातम किया। सोगवारों ने ‘हाय सकीना हाय प्यास’ ‘चमन चमन कली कली, अली अली अली अली’ ‘हुसैनियत जिंदाबाद यजीदियत मुर्दाबाद’ की सदाएं बुलंद की। सोजख्वानी और नोहाख्वानी के साथ मातमी जुलूस इमामबाड़े से शुरू होकर मुख्य बाजार व हुसैनी चौक से होता हुआ करबला पहुंचा। जहां ताजियों को दफनाया गया। इसके बाद अलविदा पढ़ा गया। जुलूस में पूर्व राज्य मंत्री सैयद ईसा रजा, शब्बीर प्रधान, अथर नकवी, गजनफर नौहाख्वां, तसद्दुक हुसैन, मुतवल्ली बाकिर, फिरोज हैदर आदि मौजूद रहे।

समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।

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