देवबंद: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने समान नागरिक संहिता को लेकर सरकार और लॉ कमीशन की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमान जितना चाहे विरोध प्रदर्शन कर लें, लेकिन लॉ कमीशन अपना फैसला सरकार के नजरिये के मुताबिक ही देगा।
बृहस्पतिवार को एक न्यूज चैनल से यूनिफॉर्म सिविल कोड के सम्बंध में बात करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने इसे लागू करने के तरीके पर निराशा जताई। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर सरकार इसको लागू कराना चाहती है तो फिर लॉ कमीशन उसके खिलाफ कैसे जा सकता है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता के सामने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हैं तो फिर लॉ कमीशन खिलाफ कैसे बोल सकता है। अगर सरकार या प्रधानमंत्री लॉ कमीशन को इसको लागू करने और न करने का पूरा अधिकार देते तो शायद हमारे विरोध का कुछ असर हो जाता। मौलाना मदनी ने कहा कि इसको लेकर जमीयत उलमा हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड या अन्य कोई संगठन अगर विरोध करता है तो उसको लेकर लॉ कमीशन कोई फैसला नहीं देगा। मौलाना अरशद ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि हम सड़कों पर उतर कर किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे। लेकिन इसका विरोध करते हैं और संवैधानिक रुप से करते रहेंगे। क्योंकि यह इस्लाम धर्म और मुसलमानों के साथ साथ भारत की सभ्यता का भी विरोधी है।
समीर चौधरी।
0 Comments