अल्पसंख्यक आयोग के सामने पेश हुए दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा प्रभारी, बोले "अंग्रेजी की पढ़ाई पर पाबंदी नहीं लगाई गई", लिपिकीय त्रुटि से बनी भ्रम की स्थिति।

देवबंद/लखनऊ: दारूल उलूम देवबंद के प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं पर अंग्रेजी के पठन-पाठन पर पाबंदी नहीं लगाई गई है। प्रबंधन के अनुसार 13 जून को दारूल उलूम से जारी आदेश में लिपिकीय त्रुटि की वजह से भ्रम की स्थिति पैदा हुई। उधर, इस संबंध में जिलाधिकारी की ओर से कराई गई जांच में भी स्पष्ट हो गया है कि दारुल उलूम देवबंद में अंग्रेजी पढ़ने पढ़ाने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई और इस संबंध में जिला मजिस्ट्रेट की ओर से नायब तहसीलदार देवबंद ने अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश की।
दरअसल, इस बारे में मीडिया में खबर चलने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशरफ सैफी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए 15 जून को समन भेज कर देवबंद प्रबंधन तथा सहारनपुर के जिला प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा। बुधवार 21 जून को मामले में आयोग में सुनवाई हुई। दारूल उलूम देवबंद के नाजिम मजलिस तालीम ने आयोग को लिखित तौर पर सूचित किया कि दारूल उलूम देवबंद में अंग्रेजी, हिन्दी, गणित, कम्प्यूटर, साइंस आदि विषयों की तालीम पहले से दी जा रही है। यहां किसी भी भाषा जैसे अंग्रेजी आदि के सीखने पर कोई पाबंदी नहीं है। दारूल उलूम में पढ़ने वाले छात्र संस्था में अध्ययनरत रहते हुए किसी अन्य संस्था में दूसरी डिग्री के लिए प्रवेश नहीं लेंगे क्योंकि इससे पढ़ाई प्रभावित होगी और कानूनन भी कोई छात्र एक साथ दो डिग्रियां नहीं ले सकता।
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि दारूल उलूम देवबंद एक विश्वविख्यात शिक्षण संस्था है। इसलिए प्रबंधन से अपेक्षा है कि नियमों के अधीन रहते छात्रों को अंग्रेजी और अन्य विषयों की शिक्षण ग्रहण करने से न रोका जाए।

समीर चौधरी।

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