नई दिल्ली: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सांप्रदायिक तत्वों और संगठनों द्वारा मुस्लिम समुदाय के निष्कासन की खुली धमकी और इसको क्रियान्वित करने के प्रयास पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। मौलाना मदनी ने इस संबंध में भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर भेदभाव फैलाने वाली शक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और नागरिकों के जान और माल की सुरक्षा की संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी की मांग की है।
मौलाना मदनी ने कहा कि उत्तराखंड में कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द के मामले में एक अनुकरणीय राज्य रहा है। जो कुछ उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हो रहा है, इन घटनाओं से राज्य के भीतर भय और दो समुदायों के बीच दुश्मनी को हवा देने के अभियान की बू आती है। इसके साथ ही यह सत्ताधारी लोगो का गैरजिम्मेदार रवैया भी दर्शाता है कि उन्होंने समय रहते इस तरह के उकसावे पर कार्रवाई नहीं की। यही वह उत्तराखंड की धरती है, जहां धर्म संसद आयोजित करके मुसलमानों के नरसंहार की धमकी दी गई थी। जिन लोगों ने एक वर्ष पूर्व इन कार्यक्रमों का आयोजन किया था, वह न केवल कानून की पकड़ से बाहर, बल्कि वर्तमान घटना में भी नफरत फैलाने और धमकी देने वालों में वह लोग भी शामिल हैं, जो खुलेआम पोस्टर लगाकर और वीडियो जारी कर के एक विशेष समुदाय को धमकी दे रहे हैं और राज्य का पुलिस प्रशासन केवल खानापूर्ति कर रहा है।
पत्र में सरकार को ध्यान दिलाया गया है कि 15 जून 2023 को आयोजित होने वाली महापंचायत पर प्रतिबंध लगाया जाए और जो लोग वहां मौजूद हैं, उनको सुरक्षा मुहैया कराई जाए। मौलाना मदनी ने पत्र में कहा है कि जो स्थिति पैदा हुई है, उसमें बिना विलंब प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। इस बीच जमीअत उलमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने प्रभावित क्षेत्र के एसपी से फोन पर बातचीत की है और आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराने की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।
समीर चौधरी।
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