मुसलमानों की जिंदगी अगर भारत में मुश्किल बना दी गई होती तो क्या मुसलमानों की आबादी में 1947 की तुलना में इतनी बढ़ोतरी होती।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात अमेरिका में पश्चिमी देशों के भारत विरोधी एजेंडे पर करारा हमला बोलते हुए कही।
अमेरिका स्थित पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही.
दरअसल पीआईआईई के अध्यक्ष एडम एस पोसेन ने केंद्रीय मंत्री से पूछा था कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हिंसा के बारे में बड़े स्तर पर रिपोर्टिंग हो रही है।
इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनौती देते हुए कहा कि 2014 से आज के बीच क्या आबादी घटी है क्या किसी समुदाय विशेष पर बहुत ज्यादा कर्ज़ है जो लोग इस तरह के आर्टिकल लिखते हैं मैं उन्हें भारत आकर चीजों को साबित करने के लिए कहूंगी कि वह आए मैं उनकी मेजबानी खुद करूंगी।
भारत के वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में मुसलमानों की आबादी में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि जिस तरह के आर्टिकल लिखे जाते हैं और उनमें यह दावा किया जाता है कि भारत में मुसलमानों की जिंदगी मुश्किलों से भरी हुई है अगर इसमें सच्चाई होती तो क्या 1947 के बाद से मुसलमानों की जनसंख्या में बढ़ोतरी होती।
उन्होंने कहा कि 1947 में पाकिस्तान भी अस्तित्व में आया लेकिन वहां स्थितियां इसके बिल्कुल उलट हैं. पाकिस्तान ने तो कहा था कि उसके यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी लेकिन वहां अल्पसंख्यक समुदाय का प्रत्येक व्यक्ति असहज है उनकी संख्या तेजी से कम हो रही है यहां तक कि पाकिस्तान में कुछ मुस्लिम फिरके के लोगों की संख्या में भी कमी आई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक के मुद्दों पर भारत को कटघरे में खड़ा करने वालों और हमारी छवि को गलत तरीके से दिखाने वालों को दरअसल जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत में मुसलमानों की हालत पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमानों की तुलना में बहुत बेहतर है।
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