संघ नेताओं और मंत्रियों से लगातार हो रही मुस्लिम नेताओं की मुलाकात, राजनीतिक रूप से बदलने लगा है मुसलमानों का नजरिया।

दिल्ली: (शिब्ली रामपुरी) हाल ही में कर्नाटक के रहने वाले शाह रशीद कादरी को जब पद्मश्री मिला तो उन्होंने एक बड़ी सटीक बात कही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इस पुरस्कार की कांग्रेस से उम्मीद थी कि उस सरकार में मिलेगा लेकिन आप की सरकार में तो मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी क्योंकि मैं एक मुसलमान हूं तो शायद मुझे पुरस्कार ना मिले मेरी यह सोच थी मगर आपने मुझे गलत साबित कर दिया. प्रधानमंत्री मोदी इस पर मुस्कुराए और उनके साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे वह भी मुस्कुराते हुए नजर आए यह वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है।
इनके अलावा हाल ही में अभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जमीयत उलेमा हिंद के नेता मौलाना महमूद मदनी समेत कई मुस्लिम बुद्धिजीवी लोगो ने मुलाकात की है और उनसे पहले आरएसएस चीफ मोहन भागवत से मौलाना अरशद मदनी मुलाकात कर चुके हैं।

उत्तराखंड के हरिद्वार में भी जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक हिंदू समाज के विद्वान से मुलाकात की थी और इस मुलाकात को काफी खुशगवार बताया था. यह जो मुलाकातें हैं यह बेवजह नहीं है बल्कि इनसे पता चलता है कि अब मुस्लिम उलेमाओं से लेकर मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों का भाजपा और आरएसएस के प्रति नजरिया बदल रहा है और अब वह किसी एक दल के हिमायती नहीं है कि वह जब चाहे उन पर राज करे उनके वोट ले और उन को गुमराह करे।

 मुस्लिम बुद्धिजीवियों से लेकर उलेमाओं कि जिस तरह से आरएसएस और भाजपा के नेताओं से मुलाकात हो रही है उससे उन सेकुलर दलों की नींद जरूर हराम हो चुकी है कि जो हमेशा से मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानते आ रहे हैं लेकिन विकास के नाम पर सिर्फ उन्होंने अपनी राजनीतिक रोटियां ही सेंकी है और भाजपा का भय दिखाकर अपना फायदा ही करने में यह सेकुलर दल हमेशा आगे रहे हैं।
दरअसल मुस्लिम समाज अब समझ चुका है कि उसके वोट लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियां हमेशा से उसे गुमराह ही करते आ रही हैं और भाजपा से दूरी बनाकर इस समुदाय का जितना नुकसान इन दलों ने किया है शायद ही उस पार्टी ने किया हो जिस से दूर रहने के लिए मुसलमानों को हमेशा एकजुट होने की बातें यह सेकुलर दल करते रहे हैं।

यह एक कड़वा सच है कि खुद को मुसलमानों का हमदर्द और सेकुलर कहने वाली राजनीतिक पार्टियों की वजह से राजनीतिक तौर पर मुसलमान हाशिए पर पहुंच चुका है.
 ऐसा भी नहीं है कि मुसलमानों ने सब को छोड़कर भाजपा को अपना लिया हो या फिर भाजपा ने मुसलमानों के लिए रास्ते खोल दिए हो लेकिन इतना जरूर है कि अब मुसलमान जागरूक हो चुका है और वह राजनीतिक तौर पर अपना नफा नुकसान देखने और समझने का प्रयास कर रहा है।

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