आगरा: मस्जिद नहर वाली में आज के जुमा के ख़ुत्बे में मौलाना इकबाल अहमद ने रमज़ान को स्पीड ब्रेकर की मिसाल के तौर पर पेश करते हुए कहा कि आप सब इस बात को जानते हैं क्योंकि सबके पास कोई न कोई सवारी है, जब हम सड़क पर जा रहे होते हैं तो रास्ते में कई जगह स्पीड ब्रेकर होते हैं, अगर आपने उस पर अपनी स्पीड कम नहीं की तो आप समझ सकते हैं कि नुक्सान गाड़ी का भी होगा और आपको भी चोट लग सकती है। इससे एक बात तो मालूम होती है कि सड़क हमारी नहीं है। उस पर सड़क के उसूल को फाॅलो करना पड़ेगा नहीं तो नुक्सान भी होगा और जुर्माना भी हो जाएगा। क्योंकि आपने सड़क के उसूल को फाॅलो नहीं किया।
यही बात हमारी ज़िन्दगी की है, जिस दुनिया में हम मौजूद हैं, उसमें भी स्पीड ब्रेकर आते हैं। इसका भी एक ख़ालिक़ और मालिक है। इस दुनिया में उसके उसूल को ही फाॅलो करना होगा, नहीं तो नुक्सान भी और जुर्माना भी होगा। आने वाला रमज़ान स्पीड ब्रेकर है, अभी तक आप अपने हिसाब से चल रहे थे अब आपको रमज़ान के उसूल को फाॅलो करना होगा। आप ख़ूब समझ सकते हैं कि रमज़ान हमसे क्या चाहता है ? रोज़ा सिर्फ़ भूखे रहने का नाम नहीं है। हर उस चीज़ का रोज़ा होगा, जो इस दुनिया के ख़ालिक़ और मालिक ने बताया है और दुनिया में उसके आख़िरी रसूल ने अपनी ज़िन्दगी में प्रैक्टिकल करके बता भी दिया और समझा भी दिया। यहां अपनी ख़्वाहिश पर चलने के बजाए ख़ालिक़ के उसूल को ही फाॅलो करना होगा। अगर हम वो उसूल फाॅलो नहीं करेंगे, तो फिर आप एक बाग़ी की लिस्ट में शामिल हो जाएंगे। दुनिया में बाग़ी की सज़ा आपको मालूम है लेकिन आख़िरत में तो आप अन्दाज़ा भी नहीं लगा सकते। जब एक दिन पचास हज़ार साल का होगा।
अल्लाह के बन्दों ! अल्लाह और रसूल की तरफ़ वापस आ जाओ, रमज़ान का मुबारक महीना हमारी ट्रेनिंग का है इसके उसूल को फाॅलो करो, अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ अपने आप को तैयार कर लो। ये बेहतरीन मौक़ा है ग़फ़लत की ज़िन्दगी छोड़ने का और सिरातल-मुस्तक़ीम (सीधे रास्ते) पर चलने का। अल्लाह तअ़ाला फ़रमाता है― "ऐ ईमान वालों ! तुम पर रोज़े फ़़र्ज़ किए जाते हैं, जैसा कि तुमसे पहले लोगों पर फ़र्ज़ किए गए थे। ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ।" (सूरह बक़रह, आयत नम्बर 183)
इसीलिए सिर्फ़ रमज़ान ही नहीं बल्कि रमज़ान के बाद की ज़िन्दगी में भी इन उसूलों को अपनाओ ताकि आखि़रत में अल्लाह के सामने जाने में हमें आसानी हो।
अल्लाह से दुअ़ा है कि आने वाले रमज़ान में हम उसकी शान के मुताबिक़ उसकी क़द्र कर सकें। आमीन।
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