देवबंद: मोहल्ला बेरुन कोटला में एक शाम मोहब्बत के नाम से मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने उम्दा कलाम सुनाकर देर रात्रि तक श्रोताओं की जमकर वाहवाही लूटी। शायर नईम अख्तर ने अपने जज्बात बयां करते हुए पढ़ा..चुका न पाया पसीना जो बयाज की किस्त, लहू रोटी पे मल मल के खा रहे हैं लोग।
बुधवार की रात्रि आयोजित हुए मुशायरे का उद्घाटन समाजसेवी नौशाद कुरैशी ने फीता काटकर और खुर्रम मुसर्रत ने शमा रोशन कर किया। इसमें शायर नफीस अहमद नफीस ने पढ़ा..मेरा घर उजड़ा तो है लेकिन खुशी ये है मुझे, कम से कम बेघर परिंदों का ठिकाना हो गया। गुलजार जिगर ने कहा..है फूल भी हमारे खुश्बू भी हमारी है, हिंदी भी हमारी है उर्दू भी हमारी है। शादाब कमर ने कुछ यूं कहा..हम गरीब लोगों के आशियां बनाते हैं, तुम गरीब लोगों की बस्तियां जलाते हो। झिंझाना के शायर वसीम अहमद ने पढ़ा..नफरत भूला के दोस्तों उलफत किया करो, छोटी सी जिंदगी से मोहब्बत किया करो। मुरसलीम माहिर ने कहा..तुम्हारे हाथ में परचम है नफरतों का मियां, गला क्यों घोंट रहे हो मोहब्बतों का मियां। जावेद आसी ने कहा..इश्क अहसास की शिद्दत से निकल पड़ते हैं, बेसबब मुल्क से हिजरत नहीं करता कोई। अकबर अहमद ने पढ़ा..घर में जब जब निवाला नहीं देखता, बाप हाथों के छोले नहीं देखता। अफरोज टांडवी ने कुछ यूं कहा..ये चुपके चुपके हरकत कर रही हैं, तेरी आंखें शरारत कर रही हैं, सुनाकर श्रोताओं से जमकर दाद बटोरी।
अध्यक्षता अबुल हसन व संचालन गुलजार जिगर ने किया। संयोजक नफीस अहमद ने सभी का आभार जताया। इसमें अकरम कुरैशी, इस्लाम, फरमान, मसरुर, इकबाल, अलताफ, इरफान आदि मौजूद रहे।
समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।
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