दारूल उलूम देवबंद और मजाहिर उलूम सहित ज़िले में 306 मदरसे अवैध नहीं गैर सहायता प्राप्त हैं, सरकार ने साफ़ किया "सर्वे का मकसद जांच नहीं है।"
देवबंद/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कराए जा रहे गैर सरकारी मदरसों के सर्वे का काम 20 अक्टूबर को पूरा हो गया है। सर्वे में प्रदेश भर के साढ़े सात हजार के करीब मदरसे गैर सहायता प्राप्त सामने आए हैं जिन्हें गैर मान्यता प्राप्त भी कहा जा रहा है। हालांकि, सर्वे की पूरी रिपोर्ट 15 नवंबर तक जिला अधिकारियों के जरिए राज्य सरकार को भेजी जाएगी।
वहीं सरकार की तरफ से ये भी साफ किया गया है कि सर्वे का मकसद सिर्फ डाटा इकट्ठा करना है, इनकी कोई जांच नहीं होगी और न ही कोई मदरसा गैर कानूनी है। खास बात यह है कि सर्वे में विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद और सहारनपुर में स्थित मजाहिर उलूम जैसे मदरसे जो सरकार से अनुदान नहीं लेते हैं उन्हें भी गैर मान्यता प्राप्त बताया गया है हालांकि ये अवैध या गैरकानूनी हैं।
सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहम जावेद ने कहा, सर्वे का किसी भी प्रकार से किसी जांच से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।
सर्वे से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करते हुए उनका बेहतर विकास करके उन्हें देश और समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जाएगी।
वहीं जनपद के अल्पसंख्यक अधिकारी भरत लाल गौड़ ने बताया कि जनपद सहारनपुर के सभी मदरसों का सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है। जिस की रिर्पोट जिला अधिकारी को भेज दी गई। उन्होंने बताया कि जनपद में दारुल उलूम देवबंद और मजाहिर उलूम सहारनपुर सहित कुल 306 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त है, जो सरकारी मदद नहीं लेते हैं। उन्होंने बताया कि यह मदरसे गैरकानूनी नहीं है बल्कि यह सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, बल्कि सोसाइटी आदि में रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने बताया कि सर्वे में मदरसा संचालकों ने सहयोग किया है और कहीं भी कोई परेशानी नहीं हुई है।
उन्होंने बताया कि सहारनपुर में 754 मदरसे अल्पसंखयक विभाग में रजिस्टर्ड हैं। इनमें 5वीं स्तर के 664, 8वीं स्तर के 80 और 10वीं स्तर के 10 मदरसा हैं, जबकि 306 मदरसे गैर सरकारी सहायता प्राप्त हैं। इनमें बच्चे दीनी तालीम ले रहे हैं। इनमें दारुल उलूम देवबंद और मजाहिर उलूम सहारनपुर भी शामिल हैं, हालांकि इन मदरसो को अवैध या गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता बल्कि ये सरकार से किसी तरह की सहायता या अनुदान नहीं लेते हैं और यहां सरकार द्वारा जारी पाठ्यक्रम भी नहीं पढ़ाया जाता है।
वही इस मामले पर दारुल उलूम देवबंद का कहना है कि संस्था सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है और भारतीय संविधान में दी गई धार्मिक आजादी के तहत यहां धार्मिक और आधुनिक की शिक्षा दी जाती है। बताया कि पिछले डेढ़ सौ साल से अधिक से चल रही संस्था ने कभी सरकारों द्वारा किसी तरह की मदद या अनुदान नहीं लिया है। इस का सारा खर्च लोगों द्वारा दिए गए चंदे से चलता है।
डीएम अखिलेश सिंह ने बताया कि अब तक 247 ऐसे मदरसों का पता चला है जो सरकार से मदद नहीं लेते, दारुल उलूम भी सरकार से मदद नहीं लेता, यह सोसाइटी एक्ट में है पंजीकृत है, लेकिन यह अवैध है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। सर्वे को लेकर लोगों में कुछ भ्रम है, सर्वे में यह पता करना है कि कितने मदरसे सरकार से मदद प्राप्त कर रहे हैं, जो मदरसे सरकार से सहायता प्राप्त हैं, उनका अल्पसंख्यक विभाग में पंजीकरण आवश्यक है, लेकिन जो मदरसे सरकार से मदद नहीं ले रहे उनको अवैध नहीं कह सकते, जब तक कि यह पुष्टि न हो जाये कि उनको प्राप्त मदद का स्रोत उचित नहीं है।
रिर्पोट: रिजवान सलमानी/समीर चौधरी।
0 Comments