दारुल उलूम में सभी छात्रों के लिए शुरू होंगी हिंदी-अंग्रेजी की कक्षाएं, आगामी कुछ सालों में प्रवेश के लिए हाईस्कूल का सर्टिफिकेट होगा अनिवार्य।

दारुल उलूम में सभी छात्रों के लिए शुरू होंगी हिंदी-अंग्रेजी की कक्षाएं, आगामी कुछ सालों में प्रवेश के लिए हाईस्कूल का सर्टिफिकेट होगा अनिवार्य।
देवबंद: यूपी के मदरसों के सम्मेलन में दीनी तालीम के साथ साथ दुनियावी तालीम को लेकर भी जोर दिया गया और कहा गया कि अब वक्त आ गया है कि दीनी तालीम के साथ-साथ हम अपने तलबा (छात्रों) को दुनियांवी शिक्षा भी दें। इसीलिए दारुल उलूम ने अपनी प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी के साथ अंग्रेजी विषयों को अनिवार्य कर दिया है। 
जमीयत उलमा-ए-हिंद राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि कुछ सालों में मदरसों की बड़ी कक्षाओँ में प्रवेश लेने के लिए हाईस्कूल का सर्टिफिकेट जरुरी होगा। इसलिए सभी मदरसों के जिम्मेदार अपने यहां हाईस्कूल तक की तालीम की व्यवस्था करें। 
मौलाना मदनी ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए कराई जा रही है ताकि दारुल उलूम से मौलवियत की डिग्री लेकर जाने वाला छात्र अपनी दुनियावी तालीम को आगे फिर से जारी रख सके और वह डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक बन सकें। वहीं, संभावना जताई गई है कि वर्ष 2023 में यह व्यवस्था दारुल उलूम लागू होगी और उसके पांच से छह साल बाद दारुल उलूम में दाखिला लेने के लिए पहुंचने वाले पंचम (अरबी 5) और शशुम (अरबी 6) और उस से ऊपर की कक्षाओं के छात्रों के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से हाई स्कूल की मार्कशीट होना अनिवार्य होगी।

समीर चौधरी।

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