श्रद्धा से मनाया गया श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व।

श्रद्धा से मनाया गया श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व।
देवबंद:  गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व हर्षोल्लास व श्रद्धा से मनाया गया। रागी जत्थों ने गुरबाणी गायन कर संगत को निहाल किया । 
गुरुद्वारा साहिब पर आयोजित कार्यक्रम में संगत को संबोधित करते हुए हजूरी रागी भाई गुरदयाल सिंह ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब केवल सिख धर्म का नहीं अपितु संपूर्ण मानवता के ग्रंथ है । गुरु ग्रंथ साहिब में साहिब में गुरु भक्तों पीरों फकीरों की बाणी दर्ज है। पांचवें पातशाह साहिब श्री गुरु अर्जन देव जी सन् 1606 में गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश दरबार साहिब अमृतसर में करवाया। उस समय गुरु ग्रंथ साहिब को आदि गुरु ग्रंथ साहिब का नाम दिया गया । दसवें पातशाह साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परलोक गमन से पूर्व गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे माथा टेका और संगत को हुक्म देते हुए कहा कि "आज्ञा भई अकाल की तबे चलायो पंथ। सब सिखन को हुक्म है गुरु मान्यो ग्रंथ।। 
" इससे पूर्व शुक्रवार चल रहे श्री अखंड पाठ साहिब के पाठ की समाप्ति की गई सहारनपुर से आए भाई परमजीत सिंह ने गुरबाणी गायन कर संगत को निहाल किया निशान साहिब के चोले की सेवा सुखजिंदर सिंह के परिवार की ओर से की गई गुरुद्वारा कमेटी की ओर से पाठ में सहयोग देने वाली संगत को सिरोपा देकर सम्मानित किया गया कार्यक्रम का संचालन सभा के सचिव गुरजोत सिंह सेठी ने किया इस दौरान सेठ कुलदीप कुमार ,कुलभूषण छाबड़ा ,चंद्रदीप सिंह, हर्ष भारती, राजेश अनेजा, बलदीप सिंह, हरविंदर सिंह बेदी,हरजीत सिंह,परमजीत सिंह, गुरजंट सिंह,गुरदीप सिंह, विजय गिरधर, सचिन छाबड़ा, विस्मित सिंह, शोभा सिंह मनचंदा,हर्षप्रीत मनचंदा, राजपाल सिंह आदि मौजूद थे। 

समीर चौधरी/महताब आज़ाद।

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