हाईटेक हुआ दारुल उलूम देवबंद का फतवा विभाग, कंप्यूटराइज्ड होगी फतवे की कॉपी, जानिए किया होता है फतवा? कब हुई फतवा विभाग की स्थापना और अब तक कितने फतवे हो चुके हैं जारी।

हाईटेक हुआ दारुल उलूम देवबंद का फतवा विभाग, कंप्यूटराइज्ड होगी फतवे की कॉपी, जानिए किया होता है फतवा? कब हुई फतवा विभाग की स्थापना और अब तक कितने फतवे हो चुके हैं जारी।
देवबंद: हाईटेक होते दौर में विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद भी कंप्यूटराइज्ड हो रहा है, हालांकि दारुल उलूम में पहले से ही कंप्यूटर और इंटरनेट का विभाग है, इसके अलावा सभी विभागों का कामकाज कंप्यूटरों से ही होता है लेकिन अब फतवा विभाग को भी पूरी तरीके से कंप्यूटराइज्ड कर दिया गया है। 
बता दें कि ऑनलाइन फतवा देने का सिलसिला यहां पिछले करीब 15 वर्ष से जारी है। करीब 130 वर्ष पुराने फतवा विभाग से अभी तक अलग-अलग मसलों को लेकर लाखों फतवे जारी हो चुके हैं।
रविवार को दारुल उलूम देवबंद फतवा विभाग को भी कंप्यूटराइज्ड कर दिया है। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कम्प्यूटराइज्ड फतवा विभाग का आगाज किया। इस दौरान मोहतमिम नोमानी ने कहा कि
आधुनिक दौर में टेक्नोलॉजी से लैस होना बेहद जरूरी है। फतवों का सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रहे, इसलिए फतवा विभाग को कम्प्यूटर से लैस कर दिया गया है। इससे फतवा देने में तेजी से काम हो सकेगा। दारुल इफ्ता के इंचार्ज
मौलाना मोईनुद्दीन कासमी ने बताया कि संस्था की सुप्रीम कमेटी मजलिस-ए-शूरा ने पूर्व में दारुल इफ्ता के निजाम कम्प्यूटराइज्ड करने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अब दारुल इफ्ता में कम्प्यूटर रखे जाने से मैनुअली फतवे देने में आसानी होगी। साथ ही सभी लिए जाने वाले फतवे
कम्प्यूटर में दर्ज हो सकेंगे। इस अवसर पर नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी, मुफ्ती राशिद आजमी, मुफ्ती महमूद बुलंदशहरी, मुफ्ती जैनुल इस्लाम, मुफ्ती हबीबुर्रहमान खैराबादी आदि मौजूद रहे।

1893 में स्थापित हुआ फतवा विभाग।
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना (1866) के करीब 27 साल बाद 1893 में दारुल उलूम देवबंद में फतवा विभाग की स्थापना हुई थी, जहां से अब तक करीब आठ लाख फतवे अलग-अलग मसलों को लेकर जारी हो चुके हैं। हालांकि यहां के कई फतवे मीडिया सुर्खी की और देश में चर्चा का विषय भी बनते रहे हैं। वही करीब 14 साल पूर्व 2008 में ऑनलाइन फतवा विभाग की शुरुआत की गई थी जहां से अब तक 50 हजार से अधिक ऑनलाइन फतवे दिए जा चुके हैं। यही कारण है कि देवबंद को फतवा नगरी भी कहा जाता है।

कैसे चलता है फतवा विभाग।
फतवा विभाग में 8 मुफ्ती फतवा देते हैं, वहीं करीब 20 लोगों का स्टाफ फतवा विभाग में काम करता है। लेकिन अब नई टेक्नोलॉजी से फतवा विभाग को जोड़ दिया गया है जिसके बाद विभाग में कार्य करने वाले सभी मुफ्तियों के साथ-साथ स्टाफ को भी हाईटेक किया जाएगा जिन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है।

किया होता है फतवा।
फतवा विभाग का इस्लामी नाम दारूल इफ्ता है, दारुल इफ्ता से उलेमा फतवा देते हैं। फतवा असल में इस्लाम धर्म के सिद्धांतों की सही जानकारी है और यह कुरान और हदीस की रोशनी में दिया जाता है। फतवा विभाग के मुफ्तियों से लोग अपनी धार्मिक सामाजिक और अन्य समस्याओं का इस्लामिक समाधान और सुझाव मांगते हैं, जिसे इस्लाम धर्म के एक्सपर्ट (मुफ्ती) कुरान और हदीस की रोशनी में बताते हैं, हालांकि वह फतवे को लागू करने के लिए बाध्य नहीं करते हैं बल्कि इस्लाम की जानकारी देते हैं और इस पर अमल करना फतवा लेने वालों की मर्जी पर है।

समीर चौधरी।

Tag: Darul uloom deoband, Darul uloom deoband fatwa vibhag, deoband fatwa, deobandi ulema, Darul uloom deoband ka fatwa, Darul iftar ab tak kitne patwe de chuka Darul uloom Deoband, kya hai fatwa, deoband ka fatwa, fatwa department of deoband,

Post a Comment

0 Comments

देश