मायावती आज़म खान और शिवपाल यादव, नए समीकरण की तरफ उत्तर प्रदेश।

मायावती आज़म खान और शिवपाल यादव, नए समीकरण की तरफ उत्तर प्रदेश।
आख़िर लंबी जद्दोजहद और जेल की सख्ती काटने के बाद आज सुबह का सूरज आज़म खान के लिए नई रोशनी लेकर आया तो आज़म खान के हज़ारों चाहने वाले जोशोखरोश के साथ सीतापुर जेल के बाहर काफिले के शक्ल में मौजूद थे,आज़म खान की शक्ल देखने के लिए तरस रहे इन चाहने वालों के लिए आज की सुबह कुछ खास तो यकीनन थी,वहीं भीड़ से इतर एक ऐसा चेहरा भी था जो इस बीच मे भी आज़म खान से संपर्क में रहा और जेल में मिलने भी आया वो चेहरा था मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव का जो जेल से बाहर निकल रहे आज़म से गले मिल रहा था मगर जिसको आना चाहिए था वो नही आया और वो नाम अखिलेश यादव का है,जिसके पिताजी के साथ अपनी तमाम जवानी आज़म खान ने वक़्फ़ कर दी जिसकी राजनीतिक पार्टी सपा को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए न दिन देखे न रात देखी न सर्दी गर्मी बरसात देखी और न अपनी बीवी बच्चों के सुख दुख को तरजीह दी,अपने सगे बच्चों से ज़्यादा तरजीह उस टीपू को दी जो बड़े होकर मुख्यमंत्री बन गया जिसने अपने पिताजी को एक कमरे में शाहजहां की तरह कैद कर दिया और उत्तर प्रदेश का बेताज बादशाह बन गया वो सीतापुर जेल पर नही आया,अखिलेश यादव ने एक ट्वीट किया आज़म खान की रिहाई पर और अपना फ़र्ज़ अदा कर दिया,
बहरहाल अब आज़म खान अपने अपनो के बीच रामपुर आ चुके हैं और जेल की सख्ती और बाकी चीज़ों पर भी अपना रद्देअमल ज़ाहिर किया है मगर अब उनके दिल मे किया चल रहा है अब वो किया करेंगे ये वो इतनी जल्दी ज़ाहिर नही करेंगे कियूंकि माना जाता है कि आजम खान बहुत गहरी बातों को बड़ी गहराई के साथ ही ज़ाहिर करते हैं आसानी से नही,राजनीतिक पंडित अंदाजे लगाए जा रहे हैं कि आजम खान कुछ न कुछ नया ज़रूर करेंगे अबकी बार वो कतई खामोश नही बैठेंगे मगर ये भी अंदाजे है कि आजम खान अखिलेश यादव से कितना भी सख्त नाराज़ हैं लेकिन मुलायम सिंह के लिए उनके दिल मे आज भी मजबूत जगह है जिसको इतनी आसानी से फरामोश नही किया जा सकता और यही चीज़ आज़म खान को कोई भी कदम उठाने से पहले दस बार सोचने को मजबूर ज़रूर कर देगी,
चलिए अब राजनीतिक पंडित जो बोलें या बताएं वो तो उनकी मर्जी मगर एक चीज़ जो इस वक़्त ज़बरदस्त तरीके से चल रही है वो ये है कि आगामी चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में भाजपा से मुकाबला करने के लिए हाल फिलहाल मुसलमान सपा का साथ देने को तकरीबन तैयार नही हैं आज़म खान की इस दुर्गति के लिए मुसलमान सिर्फ और सिर्फ अखिलेश यादव और उनकी सपा को समझता है और इस वजह से ही बीते विधानसभा चुनाव के बाद मुसलमान सपा से बदज़न हो चुका है और अपनी नाराजगी अलग अलग तरीको से ज़ाहिर भी कर रहा है, मायावती भी हाल फिलहाल मुसलमानों के प्रति नरम लहज़ा इस्तेमाल कर रही है और आज़म खान के जेल में रहते हुवे उनके पार्टी अपनी सहानुभूति जता चुकी है और आज़म खान पर जुल्म के लिए भाजपा की योगी सरकार पर निशाना साध चुकी हैं,उधर शिवपाल यादव भी जिनके बारे में कुछ दिन पहले ये तकरीबन कहा जाने लगा था कि वो भाजपा में जा रहे हैं मगर आज तक न तो वो भाजपा में गए और न ही भाजपा या योगी सरकार के खिलाफ उन्होंने कोई सॉफ्ट कॉर्नर दिखाया मगर आज़म खान के लिए वो सरकार पर काफी ज्यादा हमलावर दिखाई दिए,उधर अखिलेश के नए पार्टनर राजभर जैसे लोग भी अब अखिलेश यादव से ज़्यादा मुत्मइन नज़र नही आ रहे हैं और उनको भी अखिलेश और सपा का यादव वोट भाजपा की तरफ और मुस्लिम वोट कंफ्यूज दिखाई दे रहा है,
अब किया मायावती आज़म खान और शिवपाल सिंह यादव भाजपा के मुकाबले को नया मोर्चा बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं?और किया राजभर जैसे असंतुष्ट साथी भी अखिलेश को छोड़कर इस नए संभावित मोर्चे की तरह अपने कदम बढ़ाएंगे ये बहित जल्द ही तय होने वाला है,आज़म खान अगर अखिलेश और सपा का साथ छोड़ते हैं तो यकीनन मुसलमान वोटर का एक बड़ा तबका आज़म खान का साथ देगा इसमें कही कोई शक नही और उधर मायावती से छिटकता जा रहा युवा दलित वोटर भी वापिस लौटता नज़र आ सकता है,यादवों में शिवपाल यादव अपना भरपूर असर रखते हैं और अगर ये समीकरण बनते हैं तो तय समझ लीजिए कि अखिलेश यादव की सपा साफ़ होती नजर आएगी और ये नया मोर्चा भाजपा के साथ मजबूती से मोर्चा लेगा,
ख़ैर अंजाम किया होगा ये तो हम नही जानते मगर आग़ाज़ हो चुका है आज़म खान के आज रामपुर में कहे इन शब्दो से की मुझे सबसे ज़्यादा तकलीफ अपनो ने दी है,तय मानिए अगर उत्तर प्रदेश में मायावती आज़म खान और शिवपाल यादव का ये मोर्चा अपने वजूद में आ जाता है तो उत्तर प्रदेश की राजनीति एक नई करवट लेती नज़र आएगी और अखिलेश और उनकी खानदानी सपा को यकीनन भरपूर नुकसान उठाना पड़ेगा।

फैसल खान (वरिष्ठ पत्रकार, एडीटर Up24News)

Post a Comment

0 Comments

देश