जमीयत सम्मेलन में मौलाना महमूद मदनी की दो टूक, हमें पाकिस्तान जाने का मशवरा देने वाले खुद पाकिस्तान चले जाएं।

जमीयत सम्मेलन में मौलाना महमूद मदनी की दो टूक, हमें पाकिस्तान जाने का मशवरा देने वाले खुद पाकिस्तान चले जाएं।
देवबंद: जमीयत उलमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने दो टूक कहा कि हमें पाकिस्तान जाने का मशवरा देने वालों को अगर हमारा धर्म पसंद नहीं है तो उन्हें चाहिए कि वह देश छोड़कर कहीं और चले जाएं हम इसी देश के रहने वाले हैं, उन्होंने कहा कि हमारे पास पाकिस्तान जाने का विकल्प था लेकिन आपके पास नहीं था, उसके बावजूद हम नहीं गए और आप अब हमें पाकिस्तान जाने का मशवरा देते हैं अगर आपको हम पसंद नहीं है तो आपको पाकिस्तान चले जाना चाहिए।
देवबंद के ईदगाह मैदान में हुए जमीयत उलमा ए हिंद का दो दिवसीय सम्मेलन में रविवार को काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह समेत विभिन्न  प्रस्तावों के पारित होने के उपरांत समाप्त हुआ। अंतिम दिन भी जमीयत अध्यक्ष ने देश के वर्तमान हालात पर चिंता जाहिर की। मदनी ने कहा कि हमें पाकिस्तान चले जाने की बात करने वाले अच्छी तरह समझ लें कि हम कहीं जाने वाले नहीं है। क्योंकि ये देश हमारा है और हम यहां के बाशिंदे है।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हमें अल्पसंख्यक माना जाता है, लेकिन हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी है और नफ़रत फैलाने वालों के इतर यदि हम अपने सोच वालों को मिलाएं तो हम सबसे बड़ी आबादी है। क्योंकि देश में नफरत वाले लोग बहुत कम हैं। जबकि राष्ट्र निर्माण और देश को मजबूत करने वाले लोग ज्यादा हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर वह एकता अखंडता की बात करते हैं तो उनका राष्ट्रप्रेम है और अगर हम देश बचाने की बात करते हैं तो ढोंग बताया जाता है। लेकिन मैं कहता हूं इस देश के लिए मेरा खून बहेगा तो वह मेरे लिए सौभाग्य होगा। कहा कि अगर तुम्हें हमारा धर्म पसंद नहीं है तुम कहीं और चले जाओ।  हमें मौका मिला था पाकिस्तान जाने का लेकिन हम नहीं गए थे लेकिन जो अब हमें पाकिस्तान भेजना चाहते हैं वह खुद वहां चले जाएं। यह देश हमारा है, जो हमें करना होगा हम करेंगे लेकिन कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हालात से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि हौसला और हिम्मत से काम लेने की जरूरत है। मदनी ने देश में प्रेम सद्भावना और एकता अखंडता को मजबूत करने के लिए सभी वर्गो और धर्मों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ काम करने की जरूरत पर भी जोर दिया। 

समीर चौधरी।

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