रोज़ेदार को इफ्तार कराना मग़फिरत और जहन्नम से आज़ादी का ज़रिया : मौलाना अब्दुल्लाह क़ासमी

रोज़ेदार को इफ्तार कराना मग़फिरत और जहन्नम से आज़ादी का ज़रिया : मौलाना अब्दुल्लाह क़ासमी
कानपुर: जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने समस्त देशवासियों को रमज़ान की मुबारकाबाद देते हुए कहा कि रमज़ान में अल्लाह की रहमतें और इनायतें खासतौर पर बन्दों की तरफ आकर्षित होती हैं, इस महीने में शैतान को क़ैद किया जाता है और इबादतों का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है, यह खास इबादतों का मौसम है, इसका जितना फायदा उठा सकते हों उठा लें। मौलाना ने कहा कि नमाज़, रोज़ा, तिलावत के साथ इस माहे मुबारक में गरीबों को खास ख्याल रखें, अपनी तरफ से अपने मुहल्ले, आस-पड़ोस और इससे आगे बढ़कर ग़रीब बस्तियों में सेहरी और इफ्तार का इंतेज़ाम करवायें। मौलाना ने बताया कि जमीअत उलमा की तरफर से पिछले वर्ष 2000 घरों तक रमज़ान की आवश्यक वस्तुओं पर आधारित किटें वितरित की गईं थी, इस बार भी बड़ी संख्या में गरीबों तक राशन किट भिजवाये जा रहे हैं, जो लोग इसमें हिस्सा लेना चाहते हैं वह सम्पर्क कर सकते हैं। मौलाना ने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसललम ने फरमाया कि जिसने किसी रोज़ेदार को इफ्तार कराया, अल्लाह उसकी मग़फिरत फरमायेंगे और जहन्नम से छुटकारा अता फरमायेंगे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि यह सब्र का महीना है। लिहाज़ा हमें चाहिये कि इस महीने में में क्रोध, अदावत, दूसरों की बुराई(ग़ीबत), झूठ और चुग़लखोरी जैसे बुरे कर्मां से बचें और ज़्यादा से ज़्यादा कुरआन की तिलावत और एक-दूसरे के साथ हमदर्दी का मामला करें। पूरे महमीने रोज़े रखें और इस माहे मुबारक की खास नमाज़ तरावीह पूरे महीने बीस रकअत अदा करें। अगर कोई बूढ़ा या बीमार रोज़ा नहीं रख सकता तो उसे चाहिये कि रमज़ान के एहतराम में खुलेआम खाने पीने से बचे। मौलाना ने तमाम मुसलमानों से अपील की कि अपने प्रिय देश हिन्दुस्तान की तरक़्की और अमन-शांति की भी दुआ करें। 

समीर चौधरी।

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