पुलिस द्वारा वन गुर्जरों के उत्पीड़न की सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने की कड़ी निंदा, सरकार से कश्मीर और हिमाचल की तरह वन गुर्जरों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग।
सहारनपुर: सहारनपुर लोकसभा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने उत्तर प्रदेश के वन गुज्जरों का वन विभाग और पुलिस द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि जंगल में रहना इस समुदाय का अधिकार है और कोई भी इन्हें जंगल छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
रविवार को सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तरह ही उत्तर प्रदेश के वन गुज्जरों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि संसद के बजट सत्र में भी उन्होंने शून्य काल के दौरान सरकार को वन गुज्जरों की समस्याओं से अवगत कराया था। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि भारतीय संसद ने 16 वर्ष पहले 15 सितंबर 2006 को ऐतिहासिक अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी कानून (वनाधिकार कानून 2006) बनाया था।
उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के
शिवालिक तलहटी वन क्षेत्र में 3 हजार की संख्या में टोंगिया आबादी और 4 हजार पररवार की
आबादी वन गुज्जर समदुाय की है जो जंगल में रहते हैं। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि टोंगिया गांव और वन गुज्जर समदुाय को
वन अतिकार कानून 2006 के तहत पहली बार मान्यता तो मिली लेकिन 16 साल बाद भी वन
गुज्जरों को अभी तक उनके अधिकार नहीं मिले हैं। वन गुज्जरों को लगातार विस्थापित करने और जंगल छोड़ने की धमकी दी जा रही है जबकि वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत इनको जंगल से नहीं निकाला जा सकता है।
सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि वन गुज्जर समुदाय सैंकड़ों वर्षों से जंगल में रहता आ रहा है और जानवरों को पालने का काम करता है। यदि इन्हें जंगल से निकलकर पुनर्वासित किया जाता है तो सरकार के पास इतनी बड़ी चारागाह नहीं है जहां ये अपने सैंकड़ों जानवरों को खाना खिला सके। इसीलिए इनको जंगल में रहने का अधिकार मिलना ही चाहिए।
सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा की जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तरह ही उत्तर प्रदेश के वन गुज्जरों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए और कम्युनिटी राइट सर्टिफिकेट भी मिलना चाहिए ताकि ये समुदाय समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि आए दिन वन विभाग और पुलिस के अधिकारी वन गुज्जरों पर अत्याचार करते हैं और इनसे घी, दूध आदि लेने का भी काम करते हैं। वन गुज्जरों पर ये अत्याचार तुरंत बंद होना चाहिए और वन विभाग व पुलिस विभाग को वनाधिकार कानून 2006 के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए ताकि उन्हें इस समुदाय के अधिकारों के बारे में पता चल सके और ये इनके अधिकारों का हनन न कर सके।
समीर चौधरी।
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