दारुल उलूम में मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी कराई बुखारी शरीफ खत्म, छात्रों को दी कुरान और हदीस की रोशनी में जिंदगी गुजारने की नसीहत।

दारुल उलूम में मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी कराई बुखारी शरीफ खत्म, छात्रों को दी कुरान और हदीस की रोशनी में जिंदगी गुजारने की नसीहत।
देवबंद: विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में बुधवार को हदीस शरीफ की सबसे विश्वसनीय किताब बुखारी शरीफ का खत्म हुआ। किताब का आखिरी सबक संस्था के मोहतमिम एवं शेखुल हदीस मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने छात्रों को पढ़ाया। उन्होंने छात्रों को जिंदगी कुरआन और हदीस के बताए मार्ग पर गुजारने की नसीहत की।
संस्था के दारुल हदीस में अंतिम वर्ष के छात्रों को बुखारी शरीफ का अंतिम पाठ पढ़ाते हुए मोहतमिम एवं शेखुल हदीस मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि हदीस शरीफ कुरआन करीम की गाइड हैं, इनके बगैर कलामुल्लाह के मायने और उसकी शिक्षा को नहीं समझा जा सकता। उन्होंने इमाम बुखारी रह. के मरतबे पर रोशनी डालते हुए कहा कि सारी उम्मत उनकी मशकूर है। मुफ्ती नौमानी ने संस्था से फारिग होने वाले छात्रों को अपनी जिंदगी कुरआन व हदीस की रोशनी में गुजारने और इंसानी खिदमत को सबसे ऊपर रखने की नसीहत की। उन्होंने यहां रहकर सीखी गई दीनी तालीम को दूसरों तक पहुंचाने का आहवान किया। अंत में देश व दुनिया में अमन सुकून के लिए दुआ कराई गई।

मुफ्ती अबुल कासिम ने पहली बार पढ़ाया अंमित पाठ
दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने पहली बार छात्रों को बुखारी शरीफ का आखिरी पाठ पढ़ाया। बता दें कि दारुल उलूम के शेखुल हदीस मुफ्ती सईद अहमद पालनपुरी के इंतिकाल के बाद संस्था की सुप्रीम पॉवर कमेटी मजलिस ए शूरा ने मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी को मोहतमिम पद के साथ-साथ संस्था के शेखुल हदीस पद की जिम्मेदारी भी सौंप दी थी। जिसके बाद आज बुधवार को मुफ्ती नौमानी ने बतौर शेखुल हदीस बुखारी शरीफ का खत्म कराया।

समीर चौधरी।

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