संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का 624वां जन्मदिन हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया।

संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का 624वां जन्मदिन हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। 
देवबंद: सन्त शिरोमणि गुरु रविदास जी का 624 वां जन्मदिन बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। सिद्ध पीठ
 शिरोमणि गुरु रविदास योग आश्रम सैनपुर में रात्रि को सत्संग का आयोजन किया गया और दिन में विशाल लंगर चलता रहा। रात्रि में सत्संग में योगी जी महाराज के परम शिष्य जसवीर दास आचार्य जी ने गुरुवाणी व प्रवचन करते हुए समझाया कि गुरु रविदास जी हवन-यज्ञ, मूर्ति पूजन का खंडन करते हैं लेकिन आज हम हवन-यज्ञ और मूर्ति पूजन के पाखंडवाद में ही फंसे हुए हैं । हमें केवल एक मालिक जो एक शक्ति है उसी को मानना चाहिए ।उन्होंने कहा सत्संग किसी को गरीब नहीं बनाता है बल्कि उसे मन से अमीर बनाता है , सत्संग सत्य का ज्ञान कराता है जिससे सत्य का ज्ञान प्राप्त हो जाता है उससे बड़ा दुनिया में कोई अमीर नहीं होता है । अपने सत्संग में आये भक्तों को शराब नशाखोरी से दूर रहने के लिए कहा। नशाखोरी करने वाला हमेशा ज्ञान से दूर रहता है। हमें अपने कार्य को लगन से करना चाहिए जो अपने कार्य को लगन से करता है वहीं हमेशा सफल होता है अन्यथा सफल होता है। सत्संग का अर्थ सत्य जानना है उन्होंने कहा है कि जो सत्संग में आते हैं लेकिन माता-पिता की सेवा नहीं करते हैं वही हमेशा दुखी रहते हैं, उनके दुख का कारण भी वही बनता है ।उन्होंने भूण हत्या को सबसे बड़ा बताया और कहा कि बच्चों को शिक्षित करना यह सबसे बड़ा कर्म है क्योंकि सभी सुख के द्वार शिक्षा से खुलते हैं ।लड़की अपनी लड़कियों को निश्चित शिक्षित करें क्योंकि एक लड़की 3 कुलो को शिक्षित करती है ।इस मौके पर विश्वास दास,नाहरसिंह, केशवदास, संजय, सन्नी, सोनी, अनुराग, सचिन, सुशील, श्याम सिंह, रणवीर, राजेश, धर्मदास, रामदास, फिमूदास, भंवर सिंह, वीर सिंह, श्रीमती लोकेश, श्रीमती संगीता, सरिता, ओमपाल, जसवीरी, अनारकली, देशराज आदि उपस्थित रहे।

समीर चौधरी/महताब आज़ाद

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