तबलीगी जमात के संबंध में सऊदी सरकार के फैसले पर दारुल उलूम देवबंद की कड़ी प्रतिक्रिया, फैेसले पर पुर्नविचार की मांग

तबलीगी जमात के संबंध में सऊदी सरकार के फैसले पर दारुल उलूम देवबंद की कड़ी प्रतिक्रिया, फैेसले पर पुर्नविचार की मांग
देवबंद: सऊदी अरब हुकूमत द्वारा तब्लीगी जमात पर अपने देश में पाबंदी लगा दिये जाने के फैसले से इल्मी व दीनी हल्कों में नाराजगी की लहर दौड गयी है। विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम ने निंदा की है तथा सऊदी सरकार से अपने इस फैसले पर फिर से विचार करने तथा इस तरह इस तरह के फैसले लेने से परहेज करने की नसीहत दी है। साथ ही उलेमाओं ने भी सऊदी सरकार के इस निर्णय की निंदा की है।
सऊदी हुकूमत ने अपने देश में तब्लीगी जमात पर शिरक (अल्लाह के साथ किसी को शामिल करना) बिदअत (गैर इस्लामी कार्य) व दहशत गर्दी जोड़ने का आरोप लगाते हुये अपने देश में जमात के गतिवधियों पर रोक लगा दी है। दारूल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासमी ने प्रेस को जारी ब्यान में कहा कि दारूल उलूम के वरिष्ठ उस्ताद रहे चुके शैखुल हिंद हज़रत मौलाना महमूद हसन रह0 के शिष्य स्व0 मौलाना मौ0 इलयास ने तब्लीगी जमात की शुरूआत की थी, जो दीनी व धार्मिक ऐतबार से फायदेमंद रही है और मामुली स्तर पर मतभेद के बावजूद तब्लीगी जमात अपने मिशन में सफलता के साथ काम कर रही है।
उन्होने कहा कि लगभग पूरी दुनिया में तब्लीगी जमात काम कर रही है और इस पर शिरक बिदअत आतंकवाद के इल्जाम पूरी तरह बेमानी और निराधार है। उन्होने कहा कि दारूल उलूम सऊदी सरकार के इस निर्णय की निंदा करता है और मांग करता है तब्लीगी जमात पर लिये अपने फैेसले पर पुर्नविचार करे और इस तरह के फेैसले लेने से परहेज करे।

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