नववर्ष के नाम पर जश्न मनाने को उलेमा ने बताया गलत, मुस्लिम देशों में जश्न मनाने पर कही ये बात।

नववर्ष के नाम पर जश्न मनाने को उलेमा ने बताया गलत, मुस्लिम देशों में जश्न मनाने पर कही ये बात।
देवबंद: नववर्ष की आमद के जश्न मनाने को उलमा शरई ऐतबार से गलत ठहरा रहे हैं। उलमा का कहना है कि नए साल पर जश्न नहीं मनाना चाहिए। बल्कि यह सोचना चाहिए कि हमने बीते साल में क्या अच्छा किया और क्या बुरा किया।
 
फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि नए साल की आमद पर लोग तरह तरह से जश्न मनाते हैं। बड़ी बड़ी पार्टियों का आयोजन किया जाता है। जिसमें मोटी रकम भी खर्च होती है। इसे केवल फिजूल खर्ची ही कहा जाएगा। इसके साथ ही एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं भी देते हैं। जबकि साल बढ़ने और उम्र घटने पर यह सोचना चाहिए कि हमने बीते साल में क्या किया। जिंदगी का एक वर्ष कितनी अच्छाईयों में गुजारा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों में भी नए साल पर जो जश्न मनाए जाते हैं। वह शरई ऐतबार से सरासर गलत है। क्योंकि इस्लाम में इसकी कोई गुंजाईश नहीं है। लेकिन इतनी छूट जरुर है कि अगर कोई नववर्ष की मुबारकबाद दे तो केवल दिल रखने के लिए उसे मुबारकबाद दे दी जाए। लेकिन इसे परंपरा बनाना और बड़े बड़े आयोजन करना सरासर गलत है। 

समीर चौधरी।

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