दारुल उलूम के डेढ़ सो साल के इतिहास पर मौलाना यूनूस मेवाती ने लिखा तराना, मोहतमिम और मौलाना अरशद मदनी ने की तारीफ।

दारुल उलूम के डेढ़ सो साल के इतिहास पर मौलाना यूनूस मेवाती ने लिखा तराना, मोहतमिम और मौलाना अरशद मदनी ने की तारीफ।

देवबंद: इस्लामी तालीम के मशहूर इदारे दारुल उलूम के 150 साल के इतिहास पर तराना (गान) लिखा गया है। इसके रचियता हरियाणा के रहने वाले हैं और वह 44 साल पहले दारुल उलूम से ही फारिग (शिक्षा पूर्ण) हुए थे। उनके द्वारा लिखे गए गान को दारुल उलूम के मोहतमिम और जमीयत अध्यक्ष ने पसंद किया। जिसे बाद में संस्था के मेहमानखाने में लगाया गया। 

रविवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद मेवात (हरियाणा) के अध्यक्ष मौलाना साबिर कासमी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दारुल उलूम पहुंचा। यहां उन्होंने संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी बनारसी और जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की। दोनों ने तराने को पसंद किया और इसको लिखने वाले मौलाना युनूस मेवाती की जमकर प्रसंशा की। साथ ही उन्होंने इसे संस्था के मेहमानखाने में लगाने की इजाजत भी दी। 

मौलाना साबिर ने बताया कि तराना लिखने वाले मौलाना यूनूस ने वर्ष 1977 में दारुल उलूम से शिक्षा पूर्ण की थी। उन्होंने संस्था के डेढ़ सौ साल के इतिहास को तराने के रुप में शानदार तरीके से उतारा है। प्रतिनिधिमंडल में मौलाना जाबिर कासमी, हाजी अख्तर, मोबीन अहमद सरपंच शामिल रहे। 

समीर चौधरी।

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