17 अक्टूबर यौम ए पैदाइश: आओ अज़ीम इंकलाबी शख्सियत सर सय्यद की बात करें।
पूरी दुनिया का वजूद---अच्छाई और बुराई पर टिका हुआ है।आपके ज़रिए किए गए करम-------उसकी बुन्याद हैं। हर दौर में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की जानिब से ऐसे लोग इस रुये ज़मीन पर भेजे गए----जिन्होंने अपने इल्म, अमल, तपस्या, बलिदान और संघर्ष से मानव जीवन का इतिहास लिखा-----और सदा के लिए अमर हो गए। इसी सफ में भारतवर्ष में आधुनिक शिक्षा के नाम पर सोचने वाले और उसको कर गुज़रने वाला----एक बड़ा नाम जनाब सर सय्यद अहमद साहब का है।
जिन्होंने देशवासियों के लिए, आधुनिक शिक्षा के बारे में उस वक़्त सोचा-------जब यह सोचना भी गुनाह तसव्वुर किया जाता था-----मगर आज सर सय्यद के संघर्ष, सोच और बलिदान के ज़रिए क़ायम की गई "अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी" अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना विशेष स्थान रखती है।
इस यूनिवर्सिटी से हर समुदाय के लाखों छात्र-छात्राएं ने गत सदी से अब तक उच्च संस्कार और शिक्षा प्राप्तकर मानव जीवन को नई दिशा दी--------आज भी अलीगढ़ की इल्मी रिवायात और तहज़ीब सारी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करती है।
-------आज 17 अक्टूबर---सर सय्यद की यौमे पैदाइश का दिन है------कम से कम इल्म के क़द्रदानों को आजके दिन उन्हें दिल से याद करना चाहिए और उनके तालीमी मिशन को अपनाना चाहिए।
सर सय्यद ने ना सिर्फ तालीम बल्कि लेखन,समाजसेवा और देश के विकास और उन्नति के लिए गहरा चिंतन किया-----आज लाखों लोग अलीगढ़ सरज़मीन के कर्ज़दार हैं-----उनका फ़र्ज़ बनता है-----के वो शिक्षा को आम करें-----कम से कम एक बच्चे को साक्षर करने की ज़िम्मेदारी लें----सर सय्यद को याद करने का यही सही तरीक़ा है।
विचार: सय्यद वजाहत शाह---अध्यापक, लेखक, समीक्षक।
Posted By: Sameer Chaudhary
0 Comments