गोधरा में कासिम अब्दुल्लाह की मौत के ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए।

गोधरा में कासिम अब्दुल्लाह की मौत के ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए। 
अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलमा गुजरात के प्रतिनिधि मंडल ने गोधरा एसपी से भेंट की। 
पुलिस के दुर्व्यवहार पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का बयान अत्यधिक महत्वपूर्ण है जिस पर चलकर सरकार, पुलिस हिंसा से लोगों को बचा सकती है: मौलाना महमूद मदनी
 नई दिल्ली: जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने गुजरात में पुलिस की हिरासत में होने वाली मौतों पर घोर चिंता प्रकट करते हुए मांग की है कि घटना में संलिप्त पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करके उन पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए। मौलाना मदनी ने भारत सरकार से मांग की है कि पुलिस हिंसा को रोकने से संबंधित कोई स्पष्ट मैकेनिज्म बनाए। स्पष्ट रहे कि उपरोक्त घटना में 32 वर्षीय कासिम अब्दुल्लाह हयात को गोकशी के आरोप में गिरफ्तार करके लॉकअप में रखा गया था। जो बृहस्पतिवार की सुबह मृत पाया गया। इसके परिवार वाले इसकी मौत का कारण, पुलिस के अत्याचार व हिंसा को बता रहे हैं। इससे पूर्व अगस्त के महीने में सूरत के चौक बाजार पुलिस स्टेशन में इरशाद शेख की बर्बरता पूर्वक पिटाई के बाद उसकी मौत हो गई थी। इस संबंध में जमीयत उलमा गुजरात के प्रतिनिधि मंडल ने गोधरा एसपी से भेंट की और मांग रखी कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की जाए और थाने में मौजूद पुलिस कर्मचारियों को तुरंत बर्खास्त किया जाए। और उन पर एफआईआर दर्ज की जाए।उन पर हत्या का मुकदमा चले। 
जमीअत उलमा गुजरात के प्रतिनिधिमंडल में प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी, असलम भाई कुरेशी, एडवोकेट वसीम अब्बासी, मौलाना मोहम्मद शामिल हैं। इस संबंध में जमीयत उलमा हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी ने ज़िला एसपी से बात करके अपनी चिंता प्रकट की है। अध्यक्ष जमीअत उलमा हिंद मौलाना महमूद मदनी ने अपने बयान में कहा है कि जब तक अपराध साबित न हो जाए पुलिस कस्टडी में रहने वाला व्यक्ति आरोपी है। गिरफ्तार होने वालों में से सिर्फ एक तिहाई लोग ही अदालत के माध्यम से दोषी करार पाते हैं। इसीलिए पुलिस के माध्यम से बर्बर व्यवहार अपनाना अत्यधिक निंदनीय है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। विशेषकर अल्पसंख्यकों और गरीब व कमजोर वर्गों को लेकर अत्यधिक चिंताजनक स्थिति है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन रमन्ना ने अभी वर्तमान ही में अपने एक ऑब्जर्वेशन में इस बात को उजागर किया है कि मानवीय अधिकारों के उल्लंघन के संबंध से देश का सबसे खतरनाक स्थान पुलिस स्टेशन है। जहां गरीबों को अपनी गरीबी का ऐसा परिणाम भुगतना पड़ता है। मौलाना मदनी ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के इस महत्वपूर्ण बयान के प्रकाश में भारत सरकार को स्पष्ट गाइडलाइन बनाना चाहिए। विशेषकर जुडिशल प्रोसेस (न्यायिक प्रक्रिया) के माध्यम से दोषी पुलिस अधिकारियों को उत्तरदाई बनाना अत्यधिक आवश्यक है। ताकि पुलिस स्टेशन पीड़ितों और असहायों के लिए शरण स्थल बनें, न कि हिंसा का स्थल। 

समीर चौधरी।

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