1988 के मामले में आया अदालत का फैसला, डीएम व सैल टैक्स अधिकारी को दिया 90 हजार रुपए और 36 वर्षों का ब्याज पीड़ित को अदा करने का आदेश।

देवबंद: एसीजेएम अदालत ने राइस मिल नीलामी के 36 वर्ष पुराने मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए जिला अधिकारी व सैल टैक्स अधिकारी को पीडि़त परिवार को 90 हजार रुपये और &6 वर्ष का ब्याज एक माह में अदा करने के आदेश दिए है।
वर्ष 1988 में सरकार द्वारा नानौता स्थित माडर्न राइस मिल की खुली बोली लगाकर नीलामी की गई थी। नानौता के मोहल्ला अफगान निवासी रशीद खां ने 48 हजार रुपये बोली लगाकर मिल को खरीद लिया था। सालों गुजरने के बाद भी जब बोलीदाता को मिल पर कब्जा नहीं दिया गया और इस दौरान रशीद खां की मृत्यु हो गई। वर्ष 2008 में रशीद खां की विधवा पत्नी वसीला व ब‘चों ने जिलाधिकारी सहारनपुर और सैल टैक्स अधिकारी देवबंद को प्रतिवादी बनाकर सिविल कोर्ट देवबंद में वाद दायर किया था। जिसकी सुनवाई एसीजेएम अदालत में चल रही थी। सोमवार को दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद एसीजेएम परविंदर सिंह ने कब्जा न दिलाने का कारण जिला प्रशासन की खामी को माना और जिलाधिकारी सहारनपुर व सैल टैक्स अधिकारी देवबंद को आगामी एक माह में वसीला खां व उनके ब‘चों को 90 हजार की राशि और उस पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से 36 वर्षों का ब्याज अदा करने का आदेश दिया है।

समीर चौधरी।

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