नए कानून के विरोध में बस और ट्रक चालकों ने किया चक्का जाम, निजी वाहन चालक भी हुए आंदोलन में शामिल, बसों का संचालन रुकने से यात्री परेशान।

देवबंद: हिट एंड रन के मामले में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून के विरोध में बस और ट्रक चालकों की यूनियनों ने नए साल के पहले दिन यानि सोमवार को चक्का जाम करके हड़ताल शुरू कर दी और कानून को वापस लेने की मांग की है। हड़ताल का असर सहारनपुर से मेरठ तक पश्चिमी यूपी के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है जिसके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
नए सड़क दुर्घटना कानून के विरोध में नए साल के पहले दिन रोडवेज और निजी वाहनों के चालक हड़ताल पर चले गए हैं। इससे सहारनपुर और मुजफ्फरनगर डिपो की अधिकांश बसें खड़ी हो गई हैं। चालकों के आह्वान पर निजी सवारी वाहन भी खड़े कर दिए गए है। वाहन चालकों की हड़ताल से यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देवबंद में चालकों ने अपने वाहन खड़े करके बस अड्डे के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें संजय, नदीम, नौशाद, मनपाल, सलमान, शाकिर, विनोद, नरेश, फरमान, कालू, साबिर शमीम, सतपाल नसीम, जबल, फरीद, नवाब आदि शामिल रहे।
ऑल इंडिया ट्रक चालक संगठन ने एक जनवरी को हड़ताल का आह्वान किया था। सोमवार सुबह ट्रक चालक हड़ताल पर चले गए इस दौरान ट्रक चालकों के साथ अन्य वाहनों के चालक भी इस हड़ताल में शामिल हो गए। बस यूनियन की ओर से भी नए कानून के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया गया, जिसके बाद चालकों ने रोडवेज बस स्टैंड पर जाकर बसों का भी चक्का जाम कर दिया। किसी भी बस को डिपो के बाहर नहीं निकलने दिया गया। सवेरे जो बस डिपो से निकलकर मार्ग पर चली गई थी बताया गया है कि उन्हें भी रास्ते में रोक कर खड़ा कर दिया गया है।
अचानक हुए रोडवेज बस चालकों के चक्का जाम से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डग्गामार वाहनों को भी आंदोलनकारी चलने नहीं दे रहे हैं। वहीं रोडवेज अधिकारी बस चालकों और आंदोलनकारियों को समझने में लगे हैं।

क्या है नया नियम
गौरतलब है कि हाल ही में संसद ने भारतीय न्याय संहिता संहिता को मंजूरी दी गई है जिसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर लाया जा रहा है। नए कानून में 'हिट एंड रन' के खिलाफ सख्त प्रावधान किया गया है, जिसमें हर साल 50 हजार से अधिक लोगों की जान चली जाती है। नए कानून के मुताबिक यदि कोई चालक दुर्घटना के बाद फरार हो जाता है तो उसे 10 साल तक की जेल हो सकती है।
संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने इस कानून के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा था कि उन चालकों के प्रति नरमी बरती जाएगी खुद पुलिस को सूचना देंगे और घायल को अस्पताल ले जाएंगे। हालांकि, चालकों की चिंता है कि दुर्घटना के बाद यदि वे मौके पर रहे तो भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।

समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।

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